23 May ka Panchang 2024: आज 23 मई गुरुवार को कौन सी तिथि, नक्षत्र, उपाय हैं। आज किस समय यात्रा करने से लाभ होगा। इसके लिए पढ़ें आज का पंचांग। जानते हैं प.मुकेश त्रिवेदी (कुंडली विशेषज्ञ ) से।
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⛅दिनांक – 23 मई 2024
⛅दिन – गुरूवार
⛅विक्रम संवत् – 2081
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – ग्रीष्म
⛅मास – वैशाख
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – पूर्णिमा शाम 07:22 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅नक्षत्र – विशाखा प्रातः 09:15 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ चन्द्र राशि:~ वृश्चिक अहर्निश
⛅योग- परिघ दोपहर 12:12 तक तत्पश्चात शिव
⛅राहु काल – दोपहर 02:04 से दोपहर 03:44 तक
⛅सूर्योदय – 05:43
⛅सूर्यास्त – 07:04
⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:18 से 05:01 तक
⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11:57 से दोपहर 12:50 तक
⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:02 मई 24 से रात्रि 00:45 मई 24 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – कूर्म जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, वैशाखी पूर्णिमा
⛅विशेष – पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
वैशाखी पूनम
वैशाख मास की पूर्णिमा की कितनी महिमा है !! इस पूर्णिमा को जो गंगा में स्नान करता है ,भगवत गीता और विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करता है- उसको जो पुण्य होता है- उसका वर्णन इस भूलोक और स्वर्गलोक में कोई नहीं कर सकता- उतना पुण्य होता है। ये बात स्कन्द पुराण में लिखी हुई है। अगर कोई विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ न कर सके तो गुरु मंत्र की 10 माला जादा कर ले अपने नियम से।
गुरुवार विशेष
हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है- और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें।
एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्न लिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः।
फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति,गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें। थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें।
गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है।
_* गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है। यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है-तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है। तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें.
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