विजयपुर विधायक रामनिवास रावत और बीना विधायक निर्मला सप्रे… लोकसभा चुनाव के दौर में इन दोनों ही नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में एंट्री ली… दोनों विधायकों ने पाला तो बदला लेकिन अभी तक अपनी सदस्यता नहीं छोड़ी… कांग्रेस के अंदरखानों में भी ये सवाल उठे कि विधायकी नहीं छोड़ रहे इन नेताओं पर पार्टी एक्शन क्यों नहीं ले रही है… अब इन सभी सवालों के जवाब सामने आ गए हैं… कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी इन विधायकों को अपनी ओर से तब तक निष्कासित नहीं करेगी, जब तक कि विधानसभा का आगामी सत्र शुरू नहीं हो जाता…सत्र शुरू होने के बाद सत्तापक्ष को पूर्ण बजट पेश करना पड़ेगा… इसके साथ ही सरकार के कई अहम फैसलों को सदन से मंजूरी भी दिलाना पड़ेगी… इस दौरान कांग्रेस अपने विधायकों को व्हिप जारी कर सरकार के प्रस्तावों पर वोटिंग की मांग कर सकती है….वोटिंग के दौरान दलबदलू विधायकों को अपना स्टैंड स्पष्ट करना पड़ेगा… गैरहाजिर होने या कांग्रेस के विरोध में मतदान करने पर पार्टी स्पीकर से उनकी सदस्यता निरस्त करने की मांग कर सकती है…. इन विधायकों को सदस्यता निरस्त कराने के लिए कांग्रेस ने अलग-अलग परिस्थितियों के हिसाब से अलग-अलग रणनीति बनाई है…. 4 जून को आने वाले नतीजों के बाद कांग्रेस, दलबदलू विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है… गौरतलब है कि अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह ने लोकसभा चुनाव के बीच बीजेपी जॉइन की थी… इन्होंने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता दोनों से इस्तीफा दे दिया है… लेकिन विजयपुर विधायक रामनिवास रावत और बीना विधायक निर्मला सप्रे ने न तो कांग्रेस से इस्तीफा दिया, न विधायक पद छोड़ा है… वहीं इस पूरे मामले में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का भी बयान सामने आया है… उन्होंने कहा कि- कांग्रेस के सिंबल पर जीतने वाले दलबदलुओं को हम सबक जरूर सिखाएंगे… हम सभी कानूनी पक्षों पर विचार कर रहे हैं, सही वक्त आने पर कार्रवाई करेंगे…
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