World AIDS Vaccine Day 2024: हर साल मई की 18 तारीख पूरी दुनिया में ‘विश्व एड्स वैक्सीन दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को एचआईवी (HIV) की रोकथाम और एड्स के टीके के अनुसंधान के बारे में बताना और जागरुक करना है।
यह उन तरीकों पर भी ध्यान दिलाता है जिनसे व्यक्ति इस महामारी को समाप्त करने के वैश्विक प्रयास का हिस्सा बन सकते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि कैसे हुई थी ‘एड्स वैक्सीन डे’ की शुरूआत और क्याक है इसका महत्व।
क्या है इसका इतिहास
पहला World AIDS Vaccine Day 2024 1998 में मनाया गया था, जो 1997 में किए गए पहले अंतर्राष्ट्रीय एड्स वैक्सीन परीक्षण की वर्षगांठ थी। विश्व एड्स वैक्सीन दिवस की स्थापना 1997 में पेरिस में विश्व एड्स वैक्सीन सम्मेलन में एक प्रस्ताव के बाद की गई थी।
जिसमें एचआईवी वैक्सीन के चल रहे विकास का समर्थन करने के लिए एक वार्षिक दिवस की शुरुआत की गई थी।
World AIDS Vaccine Day का महत्व
एचआईवी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने के प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है। यह दिन एचआईवी से पीड़ित लोगों की मदद करने का मौका है।
साथ ही इस दिन का उद्धेश्य लोगों तक यह संदेश पहुंचाना भी है कि मिलकर काम करके इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है।
क्या है एड्स ?
एड्स (अक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएन्सी सिंड्रोम) ह्यूमन इम्यूनोवायरस (एचआईवी) के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है, जिससे शरीर में संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने की कैपेबिलिटी नहीं होती है।
एड्स कैसे फैलता है?
एड्स मुख्य रूप से असुरक्षित संबंध बनाने, संक्रमित सुई या सिरिंज का इस्तेमाल करना और एचआईवी संक्रमित मां से बच्चे को जन्म देने के जरिए फैलता है।
क्या हैं एड्स के लक्षण ?
एचआईवी संक्रमण के शुरुआती चरणों में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन जैसे-जैसे वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, वैसे-वैसे शरीर में कुछ बदलाव आना शुरू हो जाते हैं। साथ ही रात में पसीना, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, दस्त, मुंह में छाले, त्वचा पर चकत्ते, बुखार, थकान, कमजोरी और वजन घटना हैं।
इससे बचाव के कुछ उपाय
एड्स से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि असुरक्षित संबंधों से बचें। हमेशा सुरक्षित संबंध ही स्थापित करें।
संक्रमित सुई या सिरिंज का इस्तेमाल न करें। नाई की दुकान पर पुराने ब्लेड से कभी सेव न कराएं।
गर्भवती महिला को नियमित रूप से एचआईवी की जांच करवानी चाहिए।
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