हाइलाइट्स
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कोरबा के 3 डॉक्टरों के खिलाफ FIR निरस्त
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चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सुनाया फैसला
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लापरवाही तय करने का अधिकार मेडिकल बोर्ड को: HC
Bilaspur High Court: हार्निया से पीड़ित बच्चे की ऑपरेशन के दौरान मौत होने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने कोरबा के 3 डॉक्टरों के खिलाफ इलाज में लापरवाही के आरोप में दर्ज FIR को निरस्त कर दिया. HC ने कहा कि इलाज के दौरान डॉक्टरों ने लापरवाही बरती है या नहीं, यह तय करने का अधिकार मेडिकल बोर्ड को है.
दरअसल, हाईकोर्ट में आरोपी डॉक्टरों ने याचिका दायर कर कहा कि इस आरोप को लेकर मेडिकल बोर्ड और सक्षम अधिकारी से जांच नहीं कराई गई. इसलिए लापरवाही बरतने का कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे ने मामले की सुनवाई के दौरान माना कि बच्चे की स्थिति के बारे में परिवार को पहले ही बता दिया गया था.
क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि कोरबा जिले के बालकोनगर थाना क्षेत्र के रहने वाले दिव्यांश के पिता मनोज केंवट की शिकायत पर पुलिस ने तीन डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया था. दिव्यांश के पिता मनोज ने पुलिस को शिकायत की थी कि 6 जनवरी 2021 को बेटे दिव्यांश की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी. जिसके बाद इलाज के लिए उसे जिला अस्पताल ले जाया गया. जहां जांच के बाद डॉ पाणिग्रही ने 8 जनवरी को दिव्यांश को हार्निया से पीड़ित होने की जानकारी दी और ऑपरेशन कराने की सलाह दी.
मनोज केंवट ने पुलिस को बताया कि जिला अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने पर डॉ. पाणिग्रही ने बच्चे को ऑपरेशन के लिए निजी आयुष्मान नर्सिंग होम रेफर कर दिया. दिव्यांश को 9 जनवरी को नर्सिंग होम में भर्ती कर शाम को उसे ऑपरेशन के लिए ले गए. बच्चे के इलाज के दौरान ऑपरेशन थिएटर में डॉ. पाणिग्रही, आयुष्मान नर्सिंग होम की डॉ. ज्योति श्रीवास्तव और डॉ. प्रतीकधर शर्मा मौजूद थे.
उचित योग्यता और साधनों के बना किया ऑपरेशन: परिजन
ऑपरेशन के करीब आधे घंटे बाद डॉ. पाणिग्राही ने दिव्यांश की तबीयत बिगड़ने की जानकारी दी. पिता ने बताया कि डाक्टरों ने उनसे पूछे बिना बच्चे को कोसाबाड़ी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दियाय जहां कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई. बच्चे के परिजनों का कहना था कि डॉक्टरों ने बिना उचित योग्यता और साधनों के अपने आर्थिक हित के लिए ऑपरेशन किया. जिससे उसकी मौत हो गई.
पिता की शिकायत पर तीनों डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया था. जिसके खिलाफ आरोपी डॉक्टरों ने हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता डॉक्टरों ने बताया कि उनके खिलाफ चिकित्सा लापरवाही का कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता है. शिकायतकर्ता के बेटे को जन्मजात हर्निया के साथ हाइड्रोसील था. उसके माता-पिता की सहमति के बाद ही सर्जरी की योजना बनाई गई थी. माता-पिता को सर्जरी की प्रक्रिया और एनेस्थिसिया के परिणाम को भी साफ बताया गया था.
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