हाइलाइट्स
-
जनजाति बेटी के जन्म पर मनाती है खुशियां
-
पंडो जनजाति समुदाय में अनोखी परंपरा
-
सियार की आवाज से तय होता है रिश्ता
Unique Marriage in CG: हमारे देश में आदिवासियों को उनकी मूल संस्कृति के लिए जाना जाता है। इन आदिवासी समुदायों में कई जातियां हैं।
इन जातियों में अलग-अलग तरह की कई परंपरा है, जो अन्य समाजों को भी आत्मसात करने का संदेश देती है। इन समाजों की कई परंपरा हमें कई तरह की सीख भी देती है।
ऐसी ही एक परंपरा सरगुजा अंचल में बसी विशेष संरक्षित पंडो जनजाति (Unique Marriage in CG) की है। इस पंडो जनजाति की अनूठी परंपरा आज भी जीवित है।
यह समाज बेटी के जन्म होने पर खुशियां मनाता है। इस समाज में कभी कुंडली देखकर विवाह (Unique Marriage in CG) संपन्न नहीं होते है।
यह समाज जब भी रिश्ता तय करने के लिए जाता है तो उस रात कहीं से भी सियार की आवाज नहीं आना चाहिए। यदि सियार रात में नहीं बोलता है तो ये मानते हैं कि सब ठीक है। इस समाज में सियार की आवाज ही रिश्ता तय करती है।
सिर्फ इतने रुपए ही देते हैं दहेज
बता दें कि दहेज प्रथा (Unique Marriage in CG) ने कई घर ऐसे हैं, जिन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया है। कई घर बर्बाद हो चुके हैं।
दहेज प्रथा से हर वर्ग परेशान हैं, लेकिन आदिवासी समुदायों में एक जनजाति ऐसी है जिसमें दहेज के नाम पर सिर्फ सवा सात रुपए लिए जाते हैं।
यह दहेज के रुपए भी दूल्हा (Unique Marriage in CG) का परिवार दुल्हन को देता है। दुल्हन के पिता को बेटी को दहेज देने की चिंता नहीं रहती है।
पंडो समाज के सूरजपुर जिले के अध्यक्ष बनारसी पंडो बताते हैं कि लड़के वालों से मिले दहेज को नाते-रिश्तेदारों के अलावा पूरे गांव में बांटा जाता है।
जितने लोगों के घर यह पैसा पहुंचता है, वे सभी लड़की की शादी के दिन क्षमता अनुसार बर्तन, कपड़ा से लेकर उपहार लड़की को देते हैं।
बिना कुंडली मिलाए ही विवाह
पंडो जनजाति में लड़की पक्ष से दहेज (Unique Marriage in CG) लेने की नहीं, बल्कि दहेज देने की परंपरा है। इसमें सवा सात रुपए दहेज तय है।
पंडो जनजाति (Unique Marriage in CG) एक ऐसी जनजाति है जो समाज में बेटी के जन्म होने पर खूब उत्सव मनाया जाता है, खुशियां मनाई जाती है।
इतना ही नहीं इन बेटियों की शादी करने के लिए माता-पिता को लड़का तलाश करने की जरूरत भी नहीं होती है और न ही दहेज के लिए रुपए इकट्ठा करने की चिंता रहती है।
इस समाज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये समाज शादी तय करते समय लड़का-लड़की की कुंडली नहीं मिलाते हैं।
बल्कि रिश्ता तय करने वाली रात गांव में सियार नहीं बोला तो पंडो समाज इस रिश्ते के सही मानता है और रिश्ता पक्का हो जाता है।
यह शादी देख हर कोई हैरान
हाल ही में सूरजपुर जिले के पंडोनगर में विजय भारत, बिटिया और जिलेबी का विवाह (Unique Marriage in CG) संपन्न हुआ।
यहां इस जनजाति में विवाह की परंपरा अनोखी देखने को मिली। यह शादी (Unique Marriage in CG) देख हर कोई हैरान हो गया। समाज में जब शादी होती है, तब लड़की वाले नहीं, लड़के वाले खुद लड़की के घर रिश्ता लेकर आते हैं।
सियार की निगरानी करते हैं
शादी (Unique Marriage in CG) तय करने की व्यवस्था भी कम अनोखी है। लड़के पक्ष से एक सदस्य एक दिन लड़की के घर में रुकता है।
वह रात में सियार की आवाज सुनने का प्रयास करता है, इसके लिए वह रातभर जागता भी है। सियार की आवाज सुनाई देती है तो वह चुपचाप घर लौट जाता है।
वहीं उसे रात में सियार की आवाज नहीं सुनाई दी तो वह इस रिश्ते में कोई परेशानी नहीं मानते हैं। और लड़के और लड़की की शादी तय हो जाती है।
दुल्हन के कंधे से निशाना लगाते
पंडो समाज में शादी (Unique Marriage in CG) के बाद दूल्हे को एक अनूठी और कड़ी परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है। इस परीक्षा को चौठारी रस्म नाम समाज में दिया गया है।
इस रस्म के लिए दूल्हा-दुल्हन नदी में जाते हैं। यहीं पर दूल्हे को दुल्हन के कंधे पर तौर रखकर प्रतिकात्मक पशु पर चलाना है। इस दौरान निशाना लगने पर लड़के को रोजगारयुक्त माना जाता है।
जबकि निशाना चूका तो दूल्हे पर जुर्माना किया जाता है। यह जुर्माना लड़के का जीजा निर्धारित करता है।
जनजातियों में प्राचीनकाल से शिकार की परंपरा रही है, इस परीक्षा और रस्म का उद्देश्य भी यही माना जाता है कि कुछ काम नहीं मिला तो भी लड़का परिवार चला सकता है।
राष्ट्रपति ने लिया गोद
बता दें कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद 22 नवंबर 1952 को सरगुजा आए थे। इस बीच विशेष संरक्षित पंडो जनजातियों (Unique Marriage in CG) की घटती संख्या को लेकर उन्होंने चिंता व्यक्त की थी।
इसके बाद उन्होंने इस जनजाति को गोद ले लिया था। जानकारी मिलती है कि डॉ. प्रसाद जिस कुटिया में रुके हुए थे, उसे ही राष्ट्रपति भवन बना दिया गया।
यह भवन सूरजपुर जिले के पंडोनगर गांव में बना हुआ है। बता दें कि मरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर जिले में ये जनजाति निवास करती है।
इनकी कुल आबादी 30 हजार है। पंडो जनजातियों की नसबंदी पर रोक लगाई गई है।
ये खबर भी पढ़ें: Bank के ग्राहकों के लिए जरूरी सूचना: आपका भी है अकाउंट तो तुरंत कर लें ये काम, एक महीने बाद बंद हो जाएंगे ऐसे अकाउंट
शराब से शुरू होती है बातचीत
छत्तीसगढ़ में पंडो समाज (Unique Marriage in CG) में लड़की वाले से दहेज नहीं लेने की एक अच्छी परंपरा है तो वहीं कुछ बुराइयां भी इन समाजों के रीतिरिवाज में हैं।
बुराई की बात करें तो समाज में रिश्ते की शुरुआत शराब से होती है। पहली बार रिश्ता लेकर जाने पर दो बोतल शराब साथ ले पड़ता है। शादी पक्की होने के बाद आठ बोतल और शादी के दिन 12 बोतल शराब देना पड़ता है।
शराब आदिवासियों की पंरपरा का हिस्सा है। शराब से होने वाले अपराध, विवाद और पारिवारिक कलह के कारण अब समाज का एक वर्ग पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा को खत्म करने में जुटे हैं।