Rajat Sharma Against Deep Fake: डीपफेक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के खिलाफ सीनियर जर्नलिस्ट रजत शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। कोर्ट ने नोटिस जारी करके केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि ये बड़ी समस्या है। केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वो इस मुद्दे पर कार्रवाई करने को तैयार है।
केंद्र नहीं कर रहा कार्रवाई
कोर्ट ने केंद्र से कहा कि राजनीतिक दल भी इस बारे में शिकायत कर रहे हैं। आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
रजत शर्मा की याचिका में क्या है ?
रजत शर्मा ने याचिका में कहा है कि डीपफेक टेक्नोलॉजी का प्रसार समाज के विभिन्न पहलुओं के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है, जिसमें गलत सूचना और दुष्प्रचार अभियान, सार्वजनिक चर्चा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को कमजोर करना, धोखाधड़ी और पहचान की चोरी में संभावित उपयोग के साथ-साथ व्यक्तियों की प्रतिष्ठा और निजता को नुकसान पहुंचाना शामिल है।
हाईप्रोफाइल लोगों के डीपफेक बन रहे
याचिका में आगे कहा गया है कि सभी खतरे तब और बढ़ जाते हैं, जब किसी प्रभावशाली व्यक्ति जैसे कि राजनेता, खिलाड़ी, अभिनेता या जनता की राय को प्रभावित करने में सक्षम किसी अन्य सार्वजनिक व्यक्ति का डीपफेक बनाया जाता है। याचिकाकर्ता जैसे व्यक्ति के मामले में यह और भी अधिक है, जो रोजाना टेलीविजन पर दिखाई देता है, जिसके बयानों पर जनता विश्वास करती है।
कार्रवाई की आवश्यकता
रजत शर्मा ने याचिका में आगे कहा कि इनके दुरुपयोग से जुड़े संभावित नुकसान को कम करने के लिए सख्त प्रवर्तन और सक्रिय कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है। डीपफेक टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग के खिलाफ पर्याप्त विनियमन और सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, निजता का अधिकार और निष्पक्ष सुनावई का अधिकार शामिल है।
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खतरे में निजता का अधिकार
रजत शर्मा ने कहा कि डीपफेक से निपटने के लिए समर्पित सिस्टम की अनुपस्थिति के कारण खालीपन पैदा हो गया है, जो बदले में इस देश के नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता का उल्लंघन कर रहा है। यह सुनिश्चित करना राज्य का सकारात्मक दायित्व है कि निजी पार्टियों के आचरण के कारण निजता का अधिकार बाधित न हो।