Amarnath Yatra: पवित्र अमरनाथ गुफा में हिम शिवलिंग की पहली तस्वीर सामने आई है इसे जिस किसी भी भक्त ने देखा तो उसकी बाबा (Amarnath Yatra) के दर्शन करने की इच्छा हुई है।
शिवलिंग हर साल सर्दी के मौसम में हुई बर्फबारी के दौरान अपना आकार लेता है और मई-जून के माह से इसके दर्शन होते हैं। इस साल भी शिवलिंग ने अपना आकार ले लिया है।
इस बार शिवलिंग करीब 8 फीट ऊंचा है। अमरनाथ यात्रा के दौरान अमरनाथ गुफा में बनने वाले इस शिवलिंग के दर्शन और पूजन के लिए देश भर से लाखों की तादाद में श्रद्धालु अमरनाथ आते हैं।
इस साल अमरनाथ (Amarnath Yatra) यात्रा 29 जून से शुरू हो रही है। यात्रा करीब 52 दिन तक चलेगी, जो कि इस साल रक्षाबंधन के दिन 19 अगस्त को संपन्न हो जाएगी।
Amarnath Yatra: बाबा अमरनाथ की पहली तस्वीर आई सामने, 29 जून से शुरु होगी अमरनाथ यात्रा, भक्त करेंगे बाबा के दर्शनhttps://t.co/WQt5VcxIEg#AmarnathYatra #Amarnathyatra2024 #june2024 pic.twitter.com/I6BAlJBo5T
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यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन
यात्रा के लिए 15 अप्रैल से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग इन कर सकते हैं। मोबाइल एप्लिकेशन से रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो श्री अमरनाथजी यात्रा ऐप डाउनलोड करना होगा।
वहीं, पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई, यस बैंक और जम्मू-कश्मीर बैंक से ऑफ लाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। यात्रा पर जाने से पहले रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।
रजिस्ट्रेशन के लिए जरुरी डॉक्यूमेंट
रजिस्ट्रेशन कराने के पहले आपको जरुरी डॉक्यूमेंट तैयार करने होगें जिससे की आपको रजिस्ट्रेशन में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।
इसके लिए आपके पास 5 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, वोटर कार्ड और मेडिकल सर्टिफिकेट (श्राइन बोर्ड से ऑथराइज्ड डॉक्टर से बना हुआ) होना चाहिए।
यात्रा के लिए दो रूट निश्चित किए हैं
पहलगाम रूट
इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है।
ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है।
तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है।
अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।
बालटाल रूट
यात्रियों के पास वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, आरएफआईडी (RFID) कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें।
फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें।
यात्रा में ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बेग अपने साथ रखें। इन सभी चीजों का ध्यान रखने के बाद यात्रा में परेशानी नहीं होगी और आप बाबा के दर्शन अच्छे से कर सकते हैं।
बाबा अमरनाथ का इतिहास
अमरनाथ(Amarnath Yatra) मंदिर को हिंदुओं के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है और इसके साथ कई दंतकथाएं जुड़ी हुई हैं। इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों (वे स्थान जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे) में रखा गया हैं। साथ ही इसे उस स्थान के रूप में भी वर्णित करते हैं जहां भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य सुनाया था।
इस मंदिर का अधिकांश भाग सालों भर बर्फ से घिरा रहता है। गर्मी के मौसम में मंदिर को बहुत कम समय के लिए खोला जाता है। इस बार यह मंदिर 52 दिनों के लगभग समय के लिए खोला जा रहा है।
एक-एक बूंद से बनते हैं बाबा अमरनाथ
श्रद्धालुओं को 40 मीटर ऊंची इस गुफानुमा मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 35 से 48 किमी की यात्रा करनी पड़ती हैं। इस गुफा में गिरते पानी की बूंदों से शिवलिंग बनता है।
अमरनाथ मंदिर की गुफा 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह तीर्थयात्रा अपने जगह और पर्यावरण के कारण एक कठिन ट्रैक है।
मंदिर के दर्शन करने के इच्छुक भक्तों को ऊंचाई और दूरी को तय करने के लिए अच्छी सेहत में होना जरूरी है। हर साल बाबा के भक्त बाबा के नाम के सहारे ही यहां की यात्रा करने आते हैं।
6 लाख श्रद्धालुओं आने का है अनुमान
कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी के मुताबिक, इस बार हमारा फोकस यात्री सुविधा बढ़ाने पर है। पूरे रूट पर खानपान, रुकने और हेल्थ चेकअप की ज्यादा से ज्यादा व्यवस्था की योजना बना रहे हैं।
पहले पहलगाम से गुफा तक 46 किमी लंबा मार्ग 3 से 4 फीट तो बालटाल वाला रूट 2 फीट ही चौड़ा था। अब इसे 14 फीट तक चौड़ा किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि बर्फ हटाने के बाद रूट दुरुस्त किया जाएगा। पिछले बार 4.50 लाख श्रद्धालु आए थे।
इस बार आंकड़ा 6 लाख तक जा सकता है। यात्रा कम दिनों की है और भीड़ ज्यादा रहेगी, इसलिए इंतजाम भी ज्यादा किए जा रहे हैं।