हाइलाइट्स
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1984 में फुटपाथ पर शुरू हुई थी दुकान
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पंजाब से आए अजीत सिंह ने की थी शुरुआत
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अब इच्छाधारी लस्सी ब्रांड बन गई है
Jabalpur News: इच्छाधारी, नाम सुनते ही दिमाग में एक ही शब्द कोंधता है, लेकिन हम यहां उसकी बात नहीं कर रहे हैं। यहां बात कर रहे हैं जबलपुर की ‘इच्छाधारी लस्सी’ की।
40 साल पहले फुटपाथ पर शुरू हुई यह लस्सी की दुकान आज ब्रांड बन गई है। जिसका जबलपुरिया शान से स्वाद लेते हैं।
गर्मियों के मौसम में मेहमानों को भी लस्सी का स्वाद चखाने से चूकना नहीं चाहते हैं। जबलपुर (Jabalpur News) के तीन पत्ती चौक पर लगी लोगों की भीड़ इस ‘इच्छाधारी लस्सी’ की ओर इशारा करती है।
यहां एक-दो नहीं बल्कि 28 फ्लेवर की लस्सी मिलती है।
इस तरह हुई शुरुआत
आजादी के बाद पंजाब से स्वर्गीय अजीत सिंह तलवार अपने पिताजी के साथ जबलपुर आ गए।
सन 1950 में तीन पत्ती के पास छोटी सी चाय की दुकान खोली। उस समय अजीत सिंह अपने पिताजी के साथ 15 पैसे में हाफ और 25 पैसे में फुल चाय बेचा करते थे।
सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 1984 में इमरजेंसी के समय कारोबार प्रभावित हो गया। काफी समय तक दुकान बंद रखनी पड़ी, जिससे काम ठप हो गया।
इसके बाद कुछ नया व्यापार शुरू करना था। अजीत सिंह ने चाय की दुकान बंद कर लस्सी की दुकान खोल ली।
फुटपाथ में लगी दुकान पर महज 2 रुपए गिलास में मिलने वाली लस्सी अब 35 रुपए गिलास में मिलती है।
अजीत सिंह तलवार की 2005 में मौत बाद से अब उनके बेटे भूपेन्द्र सिंह तलवार अपने बेटे नवजोत सिंह तलवार के साथ मिलकर दुकान चला
(Jabalpur News) रहे हैं।
इच्छाधारी लस्सी शॉप को तीसरी पीढ़ी संभाल रही है।
भूपेन्द्र ने 10 साल की उम्र में संभाल ली थी दुकान
भूपेंद्र सिंह ने बताया, ‘जब दुकान को खोला गया था, उस समय इसकी ब्रिकी कम ही थी। लस्सी पंजाब का मुख्य पेय पदार्थ है।
लिहाजा, यह सोचते हुए अजीत सिंह ने बेटे के साथ दुकान डाली थी, ताकि कुछ अलग किया जा सके। फिर टेस्ट के दम पर कुछ ही दिनों में लस्सी की दुकान चल निकली।
पापा चाय भी अच्छी बनाते थे। लोग पिताजी के हाथों की चाय को पसंद करने लगे थे। हालत यह थे कि दुकान में खूब भीड़ लगने लगी।
तब मैं लगभग 10 साल का था, तो परिवार के अन्य लोग भी पिताजी के साथ चाय की दुकान में हाथ बंटाने
(Jabalpur News) लगे।
जिस जगह चाय की दुकान का ठेला लगा करता था, वह पर जंगल था, इसके बाद भी लोग पिता जी के हाथों की चाय पीने आते थे।’स्वाद और गिलास का साइज वही, जो 40 साल पहले था
भूपेन्द्र सिंह बताते हैं कि दुकान खोले 40 साल हो गए हैं। ना ही लस्सी का स्वाद बदला और ना ही गिलास का साइज।
1984 में 2 रुपए गिलास से लस्सी की शुरुआत हुई थी, जो धीरे-धीरे 35 रुपए गिलास तक पहुंच गई। यही कारण है कि लोग दुकान में खिंचे चले आते हैं।
भूपेन्द्र सिंह बताते हैं कि कुछ ग्राहक तो ऐसे हैं जो कि 1984 से लगातार लस्सी पीने के लिए यहां आते हैं।
कैसे बनती है ‘इच्छाधारी लस्सी’
लस्सी के लिए सिर्फ तीन चीजों की जरूरत पड़ती है। दही, शक्कर और बर्फ। भूपेंद्र ने बताया कि दुकान में सिर्फ शक्कर बाहर से खरीदी जाती है।
दही और बर्फ घर पर ही जमाया जाता है। उन्होंने बताया कि लस्सी में उपयोग होने वाला बर्फ भी वो घर में जमाते हैं, जो मिनरल वाटर से बनता है।
दही भी घर पर जमाया जाता है। यानी कि सब कुछ घर का होता है। भूपेन्द्र सिंह का दावा है कि इससे अच्छी लस्सी जबलपुर ही नहीं मध्यप्रदेश में भी नहीं मिलेगी।
लस्सी को अगर एक सप्ताह तक भी रखेंगे, तो स्वाद वैसा ही रहेगा।
28 फ्लेवर की होती है लस्सी
जबलपुर (Jabalpur News) लस्सी की बात हो, तो सिर्फ एक ही टेस्ट दिमाग में आता है कि दही वाली लस्सी।
इच्छाधारी लस्सी शॉप पर एक नहीं, दो नहीं बल्कि 28 तरह की लस्सी मिलती है।
नमकीन लस्सी, शुगर फ्री लस्सी, केसर लस्सी, ड्राई फ्रूट लस्सी, पान लस्सी, चॉकलेट लस्सी, स्ट्रॉबेरी लस्सी, मैंगो लस्सी, ऑरेंज लस्सी, रोज लस्सी, खसखस लस्सी सहित कई और भी कई किस्म की लस्सी है।
यही नहीं, यहां जो शुगर के मरीज लिए भी खास लस्सी बनाई जाती है।
इसके साथ ही उपवास रखने वालों के लिए व्रत की लस्सी भी मिलती है। इस बार यहां एक और खास लस्सी की शुरुआत की गई है, जिसका नाम है कुल्हड़ लस्सी, ये लस्सी 45 रुपए की है।
100 रुपए का पटियाला लस्सी गिलास
संचालक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सबसे सस्ती लस्सी अभी 35 रुपए की दी जा रही है, जो नॉर्मल लस्सी होती है।
कुल्हड़ लस्सी, फ्रूट लस्सी भी मिलती है, जिसकी कीमत 45 से 60 रुपए तक है। सबसे महंगी लस्सी जिसे कि पटियाला लस्सी कहते हैं, यह 100 रुपए की है।
यह आम लस्सी से तीन गुना अधिक होती है। इसका गिलास भी बड़ा होता है। यही नहीं, पटियाला लस्सी को लेकर युवाओं में शर्त भी लगती है।
जो एक बार में पटियाला लस्सी को पी जाता है, वह शर्त जीतता है। शर्त हारने वाले व्यक्ति को फिर सभी दोस्तों को लस्सी पिलानी पड़ती है।
रोजाना आते हैं दो हजार से ज्यादा ग्राहक
शॉप सुबह 10 बजे से खुल जाती है। जैसे ही, दुकान खुलती है, तो वहां भीड़ लगना शुरू हो जाती है।
दुकान संचालक भूपेंद्र सिंह का कहना है कि दिन भर में करीब दो हजार से ज्यादा ग्राहक आते हैं।
कुल मिलाकर दिन भर में तीन हजार से ज्यादा लस्सी के गिलास की खपत होती है।
रात 12 बजे तक दुकान में लस्सी पीने वालों का जमावड़ा रहता है। दुकान मालिक के अनुसार कभी-कभी तो इतनी भीड़ होती है कि संभालना मुश्किल हो जाता है।
भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि यहां लस्सी के शौकीन सिर्फ जबलपुर ही नहीं बल्कि कटनी, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी यहां तक कि भोपाल और दूसरे राज्यों से भी आते हैं।
कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो कि किसी और काम से यहां आते हैं। फिर नाम सुनकर दुकान तक पहुंचते हैं।
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शॉप पर 15 से 20 कर्मचारी
दुकान संचालक के मुताबिक गर्मी के सीजन में दुकान में भारी भीड़ लगती है। लिहाजा मदद के लिए दुकान में 15 से 20 कर्मचारी रहते हैं,
जो कि सुबह 10 से लेकर रात 11:30 बजे तक दुकान में मौजूद रहते हैं। वहीं ठंड और बरसात के सीजन में इन कर्मचारियों की संख्या तीन से चार होती है।
सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक भूपेन्द्र सिंह दुकान में रहते हैं। वहीं, दोपहर को ज्यादा भीड़ होने के कारण जसजोत सिंह भी पिता की मदद के लिए आ जाते हैं।
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इसलिए पड़ा ‘इच्छाधारी नाम’
जसजोत सिंह ने बताया कि इस दुकान का नाम उनके दादा अजीत सिंह तलवार ने रखा था।
शुरू में लोगों को ये नाम अजीब लगता था। लोग बोलते थे कि यह नाम नाग-नागिन से जुड़ा लगता है।
तब उनका कहना था कि बिलकुल नहीं…इच्छाधारी का मतलब होता है, जो आपकी इच्छा पूरी कर दे। हमारी लस्सी भी यही करती है।
क्योंकि लस्सी पीते ही मन, दिमाग और शरीर की इच्छा पूरी हो जाती है।