Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (26 अप्रैल) को राज्य की बार काउंसिल और कई जिला बार एसोसिएशनों के अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही जारी रखने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने बिना शर्त माफी मांगने के बावजूद उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही जारी रखी।
चीफ जस्टिस की बेंच ने की सुनवाई
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया और अंतरिम आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया। एमपी बार काउंसिल का प्रतिनिधित्व एडवोकेट वरुण तन्खा और एओआर सुमीर सोढ़ी के साथ सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा ने किया।
15 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
जिला अदालतों में वकीलों द्वारा कई दिनों तक हड़ताल पर रहने से जुड़े मामले में स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश के चेयरमैन, सदस्यों और 103 अधिवक्ता संघों के अध्यक्ष-सचिव के खिलाफ विचाराधीन आपराधिक अवमानना पर रोक लगा दी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस जीबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की संयुक्त पीठ ने मप्र हाईकोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले पर Supreme Court में अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
यह भी पढ़ें: MP में लाड़ली बहनों का इंतजार खत्म, इस दिन आएगी खातों में राशि, सीएम Mohan Yadav ने किया ट्वीट
ये है पूरा मामला
जिला अदालतों में लंबे समय से लंबित मामलों के निपटारे के लिए हाईकोर्ट प्रशासन की नीति के खिलाफ मध्य प्रदेश के बड़ी संख्या में वकील हड़ताल पर चले गए थे। वकील पुराने मामलों के मुद्दे से निपटने के लिए अक्टूबर 2021 में हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई 25 ऋण योजना का विरोध कर रहे हैं जो कई वर्षों से लंबित हैं और लिए नहीं गए हैं। इस नीति के अनुसार, जिला अदालतों को प्रत्येक अदालत में 25 सबसे पुराने मामलों की पहचान और निपटान त्रैमासिक (66 दिनों में) करना आवश्यक है।