हाइलाइट्स
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करप्ट कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को दिए करोड़ाें रुपए
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सरकार इन कंपनियों को दे सकती है क्लीनचिट
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, सुनवाई अगले हफ्ते
Electoral Bond : सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan)ने कहा कि जिन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) के जरिए बीजेपी को करोड़ों रुपए दिए हैं,
वे किसी न किसी करप्शन में शामिल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार इन कंपनियों से चंदा लेकर उन्हें क्लीनचिट दे सकती है,
इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) में याचिका दाखिल की है। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
अगले हफ्ते इस पर सुनवाई होगी।
प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) का यह सनसनीखेज आरोप उस वक्त आया है जब देश में आम चुनाव (Lok Sabha Elections) चल रहे हैं।
लोकसभा की 543 सीटों में से 199 सीटों पर चुनाव हो चुका है। बाकी 354 सीटों पर चुनाव होना है।
कोर्ट से एसआईटी गठित करने की मांग की- प्रशांत
प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) शनिवार, 27 अप्रैल को भोपाल आए हुए थे।
उन्होंने गांधी भवन में मीडिया से चर्चा में कहा, इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) के मामले में ‘कोर्ट से एसआईटी (SIT ) गठित कर जांच कराने की मांग की है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, सीबीआई, ईडी के रिटायर्ड अधिकारियों की टीम को इसमें शामिल करने का आग्रह किया है।
20 से अधिक घातक दवाओं को चलने दिया
उन्होंने कहा, ‘रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा बनाने वाली जायडस कैडिला (Zydus Cadila) जैसी 20 से अधिक कंपनियों की दवाओं को जनता के लिए घातक होने के बाद भी देश में इसलिए चलने दिया गया,
क्योंकि इन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) के जरिए बीजेपी को पैसा दिया था।
यह कंपनी गुजरात (अहमदाबाद ) की है और इसके विरुद्ध खतरनाक दवा बनाने की रिपोर्ट आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।’
सीबीआई, ईडी के दुरुपयोग की आशंका, इन्होंने कार्रवाई नहीं की
प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा, ’16 हजार करोड़ का जो पैसा दिया गया है, उसका अधिकतम हिस्सा घूस के तौर पर दिया गया।
इसमें सीबीआई, ईडी जैसी सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग किए जाने की भी आशंका है।
दरअसल, इनके जरिए किसी भी कंपनी के खिलाफ अब तक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है।
सीबीआई, ईडी और दूसरी जांच एजेंसियों का उपयोग इन कंपनियों पर दबाव बनाने के लिए भी किए जाने की आशंका है, इसलिए वे नहीं चाहते कि केंद्र के अधीन संस्थाएं कंपनियों की जांच करें।’
अंजलि भारद्वाज बोलीं- 40 प्रतिशत बॉन्ड बीजेपी को दिया गया
राष्ट्रीय जन सूचना अधिकार अभियान ( NCPRI) की ओर से यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी।
जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कहा, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) अनकांस्टिट्यूशनल है।
यह बात खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि फिर से उनकी सरकार बनी तो कांस्टिट्यूशन बदल देंगी।’
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कंपनियों की मंशा सही थी तो केवल बीजेपी को ही क्यों बॉन्ड दिया
अंजलि ने कहा कि जो कंपनियां लाभ पाने वालों में शामिल हैं, उनके द्वारा 40 प्रतिशत बॉन्ड (Electoral Bond ) बीजेपी को दिया गया है।
सीधा सवाल उठता है कि अगर कंपनियों की मंशा सही थी तो सिर्फ बीजेपी को ही क्यों बॉन्ड दिया गया? बाकी पार्टियों को बॉन्ड क्यों नहीं दिए गए।
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2जी स्पेक्ट्रम का फैसला बदलवाने के लिए केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई
उन्होंने ने टूजी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है कि 2जी का फैसला बदल दीजिए।
जब इस मामले में फैसला आया था तो पता चला था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी कर लाखों करोड़ की गड़बड़ी की गई है।
इस मामले में भारतीय टेलिकॉम जिम्मेदार रही है और इस कंपनी ने बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) दिए हैं।
इसी तरह की स्थिति मेघा इंटरप्राइजेज कंपनी के मामले में भी है।’ अंजलि भारद्वाज ने इस मौके पर कई कंपनियों के नाम गिनाए और सवाल खड़े किए।