Supreme Court ECI Notice: सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में एक ऐसा नियम बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है कि जिसमें यदि नोटा को बहुमत मिलता है, तो विशेष निर्वाचन क्षेत्र में हुए चुनाव को रद्द घोषित किया जाए और निर्वाचन क्षेत्र में नए सिरे से चुनाव कराया जाए।
You Can Win के लेखक ने लगाई याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने NOTA से जुड़ी एक याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका शिव खेड़ा (मोटिवेशनल स्पीकर और You Can Win के लेखक) ने लगाई है।
इसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। पिटीशन के मुताबिक, अगर NOTA (नन ऑफ द अबव) को किसी कैंडिडेट से ज्यादा वोट मिलते हैं तो उस सीट पर हुए चुनाव को रद्द कर दिया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शुक्रवार 26 अप्रैल को शिव खेड़ा की याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गए हैं।
याचिका की दो खास बातें
1 NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल के लिए सभी चुनाव लड़ने से बैन कर दिया जाए। NOTA को एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए।
2 चुनाव आयोग NOTA को वैध उम्मीदवार मानने में विफल रहा है, जो लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में जरूरी है। NOTA किसी वोटर का वोटिंग न करना नहीं, बल्कि एक वैध चयन है।
लोकसभा चुनाव 2024 के दो चरणों की वोटिंग के बाद लगी याचिका
सूरत में 22 अप्रैल को BJP से लोकसभा उम्मीदवार मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत के विषय में याचिका दायर की गई है। दरअसल, यहां से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। उनके पर्चे में गवाहों के नाम और दस्तखत में गड़बड़ी थी। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट समेत 10 प्रत्याशी मैदान में थे।
21 अप्रैल को 7 निर्दलीय कैंडिडेट्स ने अपना नामांकन वापस ले लिया। BSP कैंडिडेट प्यारे लाल भारती ही बचे थे, जिन्होंने सोमवार 22 अप्रैल को पर्चा वापस ले लिया। इस तरह भाजपा के मुकेश दलाल निर्विरोध चुने गए
याचिका में दी गईं ये 4 दलीलें
1 याचिकाकर्ता के मुताबिक NOTA के स्वरूप में सबसे मुख्य बदलाव महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पुडुचेरी में देखा गया।
इन राज्यों के चुनाव आयोगों (SEC) ने ऐलान किया कि यदि किसी चुनाव में NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो वहां दोबारा वोटिंग होगी। NOTA की शुरुआत के बाद से चुनावी प्रक्रिया में यह पहला बड़ा बदलाव था।
2 राज्य चुनाव आयोगों ने नोटिफिकेशन जारी किया, जिनमें NOTA को एक काल्पनिक उम्मीदवार बताया।
इसमें साफतौर पर कहा गया- अगर NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिले तो दूसरे नंबर के उम्मीदवार को विजेता घोषित करना NOTA के सिद्धांत और उद्देश्य का उल्लंघन है।
3 सुप्रीम कोर्ट का NOTA लाने का मकसद यह उम्मीद करना था कि इससे चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि ऐसा नहीं हुआ।
ऐसा तभी हो सकता है जब राज्य और केंद्र चुनाव आयोग महाराष्ट्र, दिल्ली, पुडुचेरी और हरियाणा की तरह NOTA को भी अधिकार दें।
4 महाराष्ट्र, दिल्ली, पुडुचेरी और हरियाणा में पंचायत और नगरपालिका चुनावों से NOTA के लिए जो प्रयास शुरू हुआ है, उसे सभी स्तरों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।