हाइलाइट्स
-
5-6 अप्रैल की दरमियानी रात मालवा एक्सप्रेस ट्रेन में हुई घटना
-
बरामदगी के बाद भी माता पिता को नहीं सौंपा जा रहा था बच्चा
-
Bansal News Digital ने बच्चे को जल्द सौंपने की अपील की थी
MP News: मालवा एक्सप्रेस में चोरी हुए दो माह के नमन को आखिरकार 13 अप्रैल को उसकी मां का आंचल मिल गया।
बच्चा बरामद होने के बाद भी मां को सौंपे जाने में हो रही देरी पर एक दिन पहले ही 12 अप्रैल को Bansal News Digital ने खबर के माध्यम से प्रशासन से अपील की थी कि बच्चे को संस्थागत रखना अंतिम निर्णय होना चाहिए। इसे लेकर नियम भी है।
इसके ठीक एक दिन बाद यानी 13 अप्रैल को प्रक्रिया में न उलझाकर बच्चे को उसके जैविक माता पिता को सौंप दिया गया है।
इस केस में ये फंसा था पेंच
बच्चे की चोरी होने की एफआईआर ग्वालियर में लिखी गई थी और बच्चा इंदौर में बरामद किया गया था। इंदौर जीआरपी ने बच्चे को बाल कल्याण समिति काे सौंपा था।
इंदौर बाल कल्याण समिति का कार्यकाल पूरा हो चुका था इसलिए अब कलेक्टर को इस मामले में निर्णय लेना था।
सरकारी छुट्टियों के कारण बच्चे को संस्थागत संरक्षण में रखा गया था। वहीं जानकारी में ये भी आ रहा है कि इसके लिए DNA टेस्ट भी करवाया जाएगा।
जिसके आधार पर बच्चे को दंपती को सौंपा जाएगा। इसमें और देरी होने की संभावना बढ़ गई थी।
Bansal News Digital ने उठाया था मुद्दा, पूरी खबर यहां पढ़ें: ट्रेन में हुआ था बच्चा चोरी: एक सप्ताह से बिछड़े मासूम को मां से मिलाने में न हो देरी, किशोर न्याय एक्ट में भी प्रावधान
स्टेशन पर माता पिता ने गुजारी रातें
ग्वालियर से डबरा के बीच चलती ट्रेन से चोरी हुए दो महीने के बच्चे को शनिवार को इंदौर में उसके माता-पिता को सौंप दिया (MP News) गया।
अपने जिगर के टुकड़े को पाकर मां-पिता की आंखें भर आई। बच्चे को सौंपने की प्रक्रिया में पांच दिन लगे।
इस दौरान माता-पिता ने तीन रातें इंदौर रेलवे स्टेशन पर ही गुजारी। उन्हें रोज लगता कि आज बच्चा मिल जाएगा लेकिन सरकारी छुटि्टयों और प्रक्रिया में समय बीत गया।
इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन?
बच्चा बरामदगी के बाद इंदौर में संजीवनी केंद्र में पला। केंद्र ने उसे बहुत अच्छे से पाला जिससे उसका वजन 200 ग्राम तक बढ़ भी गया (MP News)।
लेकिन सवाल यही है कि बरामदगी के बाद भी बच्चे को उसके माता पिता को सौंपने में पांच दिन क्यों लग गए। इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है?
मामले की जांच होना जरुरी
मध्य प्रदेश बाल आयोग के पूर्व सदस्य और बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी इस घटना को दुखद बताते हैं।
विभांशु जोशी के अनुसार बरामदगी के बाद सिर्फ छुट्टीयां होने के कारण प्रक्रिया में देरी का हवाला देकर 5 दिनों तक बच्चे को मां से दूर रखना बेहद गलत है।
इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होना चाहिए।
किशोर न्याय एक्ट में है प्रावधान
किशोर न्याय अधिनियम 2015 में ये स्पष्ट प्रावधान है कि किसी बच्चे को संस्थागत रखने का निर्णय अंतिम होना चाहिए।
यदि इसके पहले कोई और विकल्प हो जिसके आधार पर बच्चे को माता पिता को सौंपा जा सकता है, तो उन विकल्पों पर विचार होना चाहिए।
इस आधार पर बच्चे के हित में सर्वोत्तम फैसला लेते हुए तुरंत ही बच्चे को माता पिता को सौंपा जा सकता था।
ये थी पूरी घटना
छतरपुर के रठखेड़ा गांव निवासी उमेश अहिरवार अपनी पत्नी सुखवंती और दो माह के बेटे नमन के साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन कर 5 अप्रैल को मालवा एक्सप्रेस से लौट रहे थे।
एस-2 कोच में बर्थ नंबर 13 और 14 में उनका झांसी तक रिजर्वेशन था। रात 11 बजे आगरा पहुंचने पर दंपती सो गई।
तड़के जब डबरा स्टेशन के पास उमेश की नींद खुली तो देखा कि पत्नी सो रही है लेकिन बच्चा गायब (MP News) था।
मालवा एक्सप्रेस से ऐसे किया था बच्चा चोरी
आरोपी इंदौर निवासी अमर सिंह चौहान अपनी पत्नी इंदु और साली रंजना चनाल के साथ मथुरा-वृंदावन से लौट रहे थे।
लौटते वक्त आगरा से मालवा एक्सप्रेस में चढ़े। रिजर्वेशन नहीं था इसलिए ऊपर की बर्थ खाली देखकर बैठ गए।
मौका देखकर निचली बर्थ पर सो रही सुखवंती के पास लेटे दो माह के अमन को उठाकर ट्रेन से उतर गए थे।
पकड़े जाने के डर से जीआरपी को सौंपा बच्चा
पुलिस के एक्टिव होने की खबर (MP News) मिलते ही आरोपी घबरा गए। पकड़े जाने के डर से वे 7 अप्रैल को इंदौर जीआरपी थाने पहुंचे और बच्चा सौंप दिया।
पुलिस ने जब एक दिन बाद आने का कारण पूछा तो बताया कि उनको ट्रेन में कुछ युवक मिले, जो जबरदस्ती बच्चा मांग रहे थे।
युवकों से डरकर वे ललितपुर में उतर गए। बस से भोपाल पहुंचे और यहां से कार से इंदौर आए।
अमर ने कहा कि वह ड्यूटी पर चला गया था इसलिए एक दिन बाद बच्चा लेकर थाने पहुंचे।