RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) रेपो रेट को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह 2023-24 के लिए 7.6 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
आरबीआई ने अपनी फरवरी की मोनेटरी पॉलिसी में एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की रेपो रेट सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। चालू वित्त वर्ष की पहली बई-मंथली मोनेटरी पॉलिसी की घोषणा की है.
RBI keeps repo rates unchanged at 6.5 pc after first Monetary Policy meeting
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आरबीआई गवर्नर ने कही ये बात
जीडीपी रेपो रेट के बारे में घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि ग्रामीण मांग गति पकड़ रही है और विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर वृद्धि से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.
हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार मार्ग में व्यवधान से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। दास ने कहा कि देश की सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृद्धि दर 2024-25 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है.
जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत, सितंबर तिमाही में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है.
इससे पहले इसी सप्ताह की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि रिजर्व बैंक को वृद्धि को ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ देते हुए भरोसे और स्थिरता पर ध्यान देना चाहिए.
महंगाई दर का अनुमान 4.5% पर रखा गया बरकरार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के अनुमान 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा.यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की पहली बई-मंथली मोनेटरी पॉलिसी पेश करते हुए कहा कि इस वर्ष मानसून की स्थिति को सामान्य मानते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए कंस्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) आधारित महंगाई दर के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना है.
क्या होता है रेपो रेट ?
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर कमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई इन्फ्लेशन को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है।
रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में निर्णय लिया गया है.
रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। उससे पहले मई, 2022 से लगातार छह बार में नीतिगत दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी.