Ujjain Mahakal Fire News: धुरेड़ी के दिन उज्जैन स्थित बाबा महाकाल मंदिर में भस्म आरती के बाद आग लग गई। जिसमें कई पुजारी बुरी तरह झुलस गए। इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं कोई इसे बाबा महाकाल (Baba Mahakal) की नाराजगी बता रहा है तो कोई इसके पीछे केमिकल वाले गुलाल को कारण बता रहा है। पर इसे लेकर अब ज्योतिषाचार्य और पंडितों में भी मंथन शुरु हो गया है।
पंडितों की मानें तो बाबा महाकाल मंदिर (Baba Mahak Mandir) में भद्रा तिथि को नजर अंदाज कर इस अशुभ काल में होलिका दहन (Holika Dahan) किया गया। जो इस अग्नि प्रकोप का बड़ा कारण (Ujjain Mahakal Fire Reason) है। क्योंकि शास्त्र सम्मत चीजों को न मानकर पंडितों की मनमानी इस बड़े हादसा का वजह बनी है।
बंसल न्यूज ने पहले ही जताई थी आशंका
बंसल न्यूज में होलाष्टक 2024 (Holashatak 2024) के नाम से एक खबर प्रकाशित की गई थी। जिसमें बताया गया था कि जब भी होलाष्टक रविवार से शुरु होते हैं तो ये अशुभ होते हैं।
वो इसलिए क्योंकि रविवार और मंगलवार दाह दिन कहलाते हैं। इन दिनों में होलिका दहन और होलाष्टक होने से अग्नि प्रकोप होने का खतरा होता है।
दो जगह आगजनी की घटना
उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर में अग्नि प्रकोप की घटना के अलावा उसी दिन इंदौर के खजराना मंदिर में भी इसी तरह का मामला सामने आया था। हालांकि यहां पर होलिका दहन के समय को लेकर कुछ कहा नहीं गया है। पर उज्जैन महाकाल में अग्नि
महाकाल ने टाल दी बड़ी विपदा
उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष पुजारी का कहना है कि बाबा महाकाल देवों के देव हैं। उन्होंने पूरे विश्व में आने वाली विपदा को टाल दिया है।
महाकाल में होलिका दहन के लिए कोई समय नहीं होता। यहां पर अनादि काल से परंपरा चली आ रही है कि शाम को संध्या आरती होने के तुरंत बाद होलिका दहन किया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार होलिका दहन के दिन ग्रहों की स्थिति इतनी भयंकर थी कि विश्व पर बहुत बड़ा संकट आ सकता था। लेकिन बाबा महाकाल ने सारी विपत्ति स्वयं पर ले ली। इस दिन मंगल और शनि की युति कुछ ऐसी थी बहुत बड़ा संकट आ सकता था। मंगल और शनि उग्र ग्रह माने जाते हैं।
क्या कहते हैं ज्योतिष
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार होलिका दहन के दिन शाम 10:30 बजे तक भद्रा थी। भद्रा में कोई भी शुभ काम करना वर्जित माना गया है। विशेष रूप से इस दौरान श्रावणी यानी रक्षाबंधन और फाल्गुन यानी होलिका दहन करना वर्जित माना गया है। हिन्दू धर्म में हर चीज शास्त्र संवत होती है। इसे लेकर शास्त्रों में भी वर्जित है।
भद्रायां द्वे न कर्तव्ये, श्रावणी, फाल्गुनी तथा।
श्रावणी राज्ञां हन्ति, ग्रामं दहति फाल्गुनी।।
यानी जब भद्रा में रक्षाबंधन मनाया जाता है तो इस स्थिति में राजा की मृत्यु होती है और अगर भद्रा में होलिका दहन होता है इस दौरान अग्नि प्रकोप होता है। यानी भद्रा में इन दोनों कामों को करने की मनाही होती है।
कुंभ राशि में मंगल और शनि की युति
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार कुंभ राशि में मंगल और शनि एक साथ विराजमान हैं। शनि को अपनी राशि कुंभ में हैं। यह युति 23 अप्रैल तक रहेगी। इसके बाद मंगल मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगें।
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