हाइलाइट्स
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कोर्ट के आदेश पर हुआ भोजशाला का सर्वे
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ASI की एक्सपर्ट टीम ने किया सर्वे
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मार्किंग कर की गई वीडियो और फोटोग्राफी
Bhojshala ASI Survey: धार की भोजशाला में आज से ASI सर्वे शुरु हो गया है। ASI की टीम ने पहले दिन परिसर में मार्किंग कर फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी की। आज का सर्वे पूरा हो चूका है। इंदौर हाईकोर्ट के आदेश पर किए जा रहे इस ASI सर्वे पर सियासत भी तेज हो गई है। भोजशाला के ASI सर्वे को लेकर दिग्विजय सिंह ने बयान दिया है। कहा कि हर चुनाव में हिंदू-मुसलमान करते हैं। सवाल उठाते हुए कहा कि सर्वे के लिए यही समय मिला था। उन्होंने कहा कि संविधान का मतलब होता है, नियमों का पालन किया जाए। क्या उनका पालन हो रहा है?
मुस्लिम पक्ष सर्वे में नहीं हुआ शामिल
ये सर्वे दोनों हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों के सामने किया जाना है, लेकिन मुस्लिम पक्ष के लोग सर्वे में शामिल नहीं हुए हैं। इधर, मुस्लिम पक्ष की सर्वे पर रोक लगाने संबंधी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।
DHAR BHOJSHALA: MP के धार भोजशाला मामले में ASI सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष पहुंचा सुप्रीम कोर्ट @DrMohanYadav51#Cmmohan #indorenews #bhojshala #dharbhojshala #Indore pic.twitter.com/tNozDvJuHe
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) March 22, 2024
सुबह 6 से लेकर दोपहर 12 बजे तक हुआ सर्वे
भोजशाला में ASI सर्वे टीम ने आज पहले दिन सुबह 6 से 12 बजे तक सर्वे किया। जिसमें भोजशाला परिसर की मार्किंग की गई। इसके बाद अंदर की वीडियो और फोटोग्राफी की गई। 1 बजे जुमे की नामाज की वजह से सर्वे को रोक दिया गया है। कल फिर से सर्वे प्रकिया शुरू होगी।
मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, अगली सुनवाई 1 अप्रेल को
16 मार्च को भोजशाला सर्वे मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने जिस पर 1 अप्रैल को सुनवाई के लिए तारीख दी थी। लेकिन आज से सर्वे शुरू होने की वजह से मुस्लिम पक्ष तत्काल हेयरिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। भोजशाला के सर्वे को रोकने के लिए तत्काल सुनवाई की मांग की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। अब अगली सुनवाई 1 अप्रेल को होगी।
सर्वे से पहले मेटल डिटेक्टर जांच
बता दें कि इस सर्वे के शुरू होने से पहले मजदूरों की मेटल डिटेक्टर से जांच करने के बाद अंदर जाने दिया। इसके अलावा सभी के मोबाइल फोन बाहर रखवा लिए गए। इसकी निगरानी 60 कैमरों की मदद से की जा रही है। सर्वे टीम पहले चरण में दोपहर 12 बजे तक काम करेगी। इसके बाद जुमे की नमाज के लिए काम रोका जाएगा।
शहर के काजी को नहीं दी गई सर्वे की सूचना
रमजान महीने का आज दूसरा शुक्रवार है। भोजशाला का सर्वे भी इसी दिन से शुरू हुआ है। इस कारण विशेष एहतियात भी बरती जा रही है। बता दें कि जुमे की नमाज के लिए लोगों को भोजशाला में एंट्री दी जाएगी।
धार के शहर काजी वकार सादिक और जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के जुल्फिकार अहमद ने हाई कोर्ट के इस निर्णय का सम्मान करते हुए कहा कि सर्वे की हमें कोई सूचना नहीं दी गई है।
आखिर क्या है इस भोजशाला का विवाद?
आपको बता दें कि इस भोजशाला को हिंदू संगठन राजा भोज के समय की इमारत बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं। इसे लेकर हिंदुओं का तर्क है कि राजवंश काल में मुस्लिमों को यहां कुछ समय के लिए नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी।
वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समाज का कहना है कि वे सालों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं। मुस्लिम समाज इसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद मानते हैं। इसी बात को लेकर इस भोजशाला पर विवाद चल रहा है। जिसका आज ASI सर्वे भी कराया जा रहा है।
ASI सर्वे को देखते हुए किए गए सुरक्षा के कड़े इंतजाम
भोजशाला के ASI सर्वे को देखते हुए यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यहां ASP, CSP, 3DSP, 8 थाना प्रभारी सहित 175 का पुलिस बल तैनात किया है। शहर के 25 चौराहों पर पुलिस का फिक्स पॉइंट बनाया गया है। इसके साथ ही 4 पुलिस मोबाइल भी लगातार यहां नजर रख रही है।
हाईकोर्ट ने दिए थे ASI सर्वे के आदेश
दरअसल, भोजशाला को लेकर चल रहे विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने ASI की 5 सदस्यीय टीम को भोजशाला के 50 मीटर के दायरे तक सर्वे करने के आदेश दिए हैं। यह सर्वे हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की मौजूदगी में हो रहा है।
इसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी हो रही है। 29 अप्रैल को कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई में सर्वे रिपोर्ट पेश की जाएगी।
मई 2022 में इंदौर हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
इंदौर हाईकोर्ट में मई 2022 में हिंदू फ्रंच फॉर जस्टिस ने याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के माध्यम से मौलाना कमालुद्दीन सोसायटी, जिला प्रशासन, धार पुलिस, गृह विभाग, पुरातत्व अधिकारी मांडू, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधीक्षक भोपाल, पुरातत्व सर्वेक्षण अधीक्षक नई दिल्ली को नोटिस जारी किया था। जिसे लेकर सभी ने कोर्ट में जवाब पेश किए थे।
इसके बाद 5 फरवरी को हाईकोर्ट में भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे को लेकर एक आवेदन देकर मांग रखी गई। जिसपर 11 मई को सुनवाई शुरू हुई। इसके बाद कोर्ट ने सर्वे को लेकर आदेश जारी किए थे।
क्या-क्या हुआ केस में अब तक
– हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रदेश उपाध्यक्ष और याचिकाकर्ता आशीष गोयल के मुताबिक हाई कोर्ट इंदौर में 2 मई 2022 को भोजशाला के पूरे अधिकार के लिए याचिका दायर की थी।
– कोर्ट ने याचिका को 11 मई 2022 को स्वीकार किया था। इसके बाद सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए थे।
– हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की तरफ से 5 फरवरी 2024 को भोजशाला के पूरे परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया और ASI को निर्देशित किया जाए।
– 19 फरवरी 2024 को सुनवाई में बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
– कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के आदेश दिए।
– भोजशाला के 50 मीटर के दायरे में खनन, कार्बन डेटिंग, GPS, GPR तकनीकों का इस्तेमाल कर कलर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करवाई जाए।
– 6 सप्ताह में विभाग की 5 सदस्यों की टीम दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वेक्षण पूरा कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करे।
– 20 मार्च 2024 को भारत सरकार संस्कृति विभाग के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अपर महा निदेशक प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी ने शासन और प्रशासन को 22 मार्च से भोजशाला का सर्वेक्षण शुरू होने की जानकारी दी।
– भोजशाला के प्रकरण में अगली सुनवाई 29 अप्रैल 2024 को है।
भोजशाला को लेकर अब तक हुए ये संघर्ष
– पहले आक्रमण के समय भोजशाला के 1400 प्रकांड विद्वानों ने संघर्ष कर अपनी आहुति दी थी।
– सन 1305 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय तत्कालीन राजा महलक देव और गोगा देव ने युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की थी।
– राजपूत सरदार मेदिनी राय ने मेहमूद खिलजी के आक्रमण के समय वनवासियों की सेना बनाकर विद्रोह किया।
– अंग्रेजों के शासनकाल में सन 1875 में मेजर किनकैड ने भोजशाला में खुदाई करवाई। इस खुदाई को लेकर कहा जाता है कि वे मुगल आक्रमणकारियों द्वारा खंडित कर जमीन में गाड़ दी गई वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन लेकर गए थे। जो आज भी ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट लंदन में रखी है।
– मुसलमानों ने सन 1936 में तत्कालीन दीवान नाडकर से नमाज के लिए भोजशाला में जगह मांगी थी। लेकिन हिंदू समाज के आक्रामक प्रतिकार के कारण इस मंदिर में नमाज नहीं हो सकी।
– सन 1937 से लेकर 1942 तक नमाज ना पढ़ने देने को लेकर हिंदू समाज ने संघर्ष किया।
– सन 1942 में धार के तत्कालीन राजा ने मुस्लिम समाज को नमाज पढ़ने के लिए बख्तावर मार्ग पर मस्जिद के लिए जगह दी। जहां आज भी रहमत मस्जिद है।
– धार के तत्तकालीन राजा के द्वारा दी गई रहमत के कारण ही इसे रहमत मस्जिद का नाम दिया गया।
– सन 1952 में धार के हिंदू समाज ने महाराज भोज वसंतोत्सव समिति के नेतृत्व में प्रत्येक वसंत पंचमी पर धार्मिक एवं सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन कर जनजागरण प्रारंभ किया।
– ब्रिटिश म्यूजियम लंदन में कैद मां वाग्देवी की प्रतिमा को लाने का प्रयास हिंदूवादी संगठन द्वारा शुरू हुआ। इसको लेकर सरकार को
– सन 1961 में इतिहासकार पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर लंदन गए और प्रतिमा को धार की मां वाग्देवी होने को लेकर प्रमाणित किया।
– साल 1977 के बाद मंदिर परिसर में नमाज शुरू हुई। इस दौरान पूर्व के एक आदेश का उल्लेख कर कुछ लोगों ने षड्यंत्र किया।
सन् 1995 से शुरू हुई थी प्रशासनिक लड़ाई
1995: भोजशाला में दो पक्षों में मामूली विवाद होने के बाद प्रशासन में मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज पढ़ने की अनुमति दी।
1997: तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आदेश पर 12 मई को भोजशाला में आम लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। साथ ही मंगलवार की पूजा पर रोक लगा दी गई।
हिंदुओं को बसंत पंचमी और मुस्लिमों को शुक्रवार के दिन 1 बजे से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। ये प्रतिबंध 31 जुलाई 1997 को हटा दिया गया।
1998: केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने 6 फरवरी को आगामी आदेश तक आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।
2003: मंगलवार को फिर पूजा की अनुमति दी गई। इसके साथ ही बगैर फूल-माला के पूजा करने के लिए कहा गया। आने वाले पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोला गया। इसके बाद 18 फरवरी को भोजशाला परिसर में सांप्रदायिक तनाव के बाद हिंसा फैली।
2013: वसंत पंचमी और शुक्रवार एक दिन होने से धार में माहौल बिगड़ गया। इस दिन हिंदुओं ने जगह नहीं छोड़ी जिसके चलते पुलिस को हवाई फायरिंग और लाठीचार्ज करना पड़ा था।
2016: शुक्रवार के दिन वसंत पंचमी पड़ने से यहां तनाव का माहौल बन गया था। तब से लेकर अब तक भोजशाला में कई बार अघोषित कर्फ्यू लग चुका है।