हाइलाइट्स
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भूपेश पर बीजेपी से मिले होने का आरोप
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स्थानीय नेता को टिकट देने की मांग
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भूपेश पर उपेक्षा का लगाया आरोप
रायपुर। Bhupesh Baghel: लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। तारीखों के ऐलान के बाद सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है।
प्रचार-प्रसार तेज हो गया है। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और राजनांदगांव से लोकसभा प्रत्याशी भूपेश बघेल की परेशानी बढ़ गई है।
दरअसल, कांग्रेस नेता सुरेंद्र दाऊ ने राजनांदगांव से भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की टिकट काटने की मांग की है। राजनांदगांव में भूपेश बघेल के प्रत्याशी बनाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता ही उनका विरोध कर रहे हैं।
इसकी बड़ी वजह भी सामने आई है। कांग्रेस कार्यकर्ता उपेक्षा का शिकार होने के कारण आक्रोशित हैं।
कांग्रेस में मची खलबली
बता दें कि इसको लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज को भी पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा है कि राजनांदगांव से भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की टिकट काटी जाए और भूपेश बघेल की जगह स्थानीय नेता को टिकट दिया जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व CM भूपेश बघेल बीजेपी से मिले हुए हैं। उनके इस पत्र के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में खलबली मच गई है।
पीसीसी चीफ से नहीं हो सकी मुलाकात
राजनांदगांव से टिकट बदलने की मांग को लेकर कांग्रेस नेता सुरेंद्र दास वैष्णव PCC प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचे।
जहां पार्टी के नेताओ से मुलाकात की। वहीं राजनांदगांव से भूपेश बघेल का टिकट बदलने की मांग रखी।
वहीं स्थानीय नेताओं को टिकट देने की मांग की। सुरेंद्र दास वैष्णव की मुलाकात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज से नहीं हो सकी।
कांग्रेस में अंतर्विरोध जारी
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विधानसभा 2023 का चुनाव हारने के बाद पार्टी में अंतर्विरोध तेज हो गया है। कांग्रेस पार्टी के ही वरिष्ठ नेता अन्य दूसरे नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं।
वहीं पार्टी के अंदर ही एक-दूसरे के खिलाफ विधानसभा चुनाव में साजिश रचकर बीजेपी के पक्ष में कांग्रेस के नेताओं के काम करने के आरोप भी पार्टी के नेताओं ने ही लगाए हैं।
अब लोकसभा चुनाव नजदीक है। इसके बाद भी कांग्रेस पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भूपेश बघेल पर भी पांच साल सरकार में रहने के दौरान राजनांदगांव की उपेक्षा का आरोप है।
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कांग्रेस नेता ने निकाली भड़ास
आपको बता दें कि इससे पहले भी सुरेंद्र दाऊ वैष्णव ने पूर्व सीएम के सामने भड़ास निकाली और सत्ता के दौरान पूरे पांच साल आम कार्यकर्ताओं की पूछपरख नहीं करने की बात कही। इस दौरान सुरेन्द्र ने विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से हार को भी कार्यकर्ताओं से दूरी को सबसे बड़ा कारण बताया।