RTI Question Exclusive Interview: क्या आप आरटीआई एक्टिविस्ट हैं या आपने भी कभी न्याय पाने या भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम का उपयोग किया है।
इस अधिनियम को लेकर अधिकारियों के रवैये से आप भी कभी परेशान हुए हैं। ऐसे तमाम सवालों को लेकर राज्य सूचना आयोग का क्या नजरिया है। जानने के लिए सूचना आयुक्त राहुल सिंह का यह Exclusive Interview पढ़ें…
19 साल में बहुत कुछ नहीं हो पाया
सूचना का अधिकार अधिनियम को लागू हुए 19 साल हो चुके हैं। इसका उद्देश्य कितना सफल हो पाया इसे लेकर सूचना आयुक्त राहुल सिंह (RTI Question Exclusive Interview) ने कहा कि काफी कुछ हुआ है।
लेकिन बहुत कुछ नहीं हो पाया है। राहुल सिंह ने कहा कि आरटीआई के कारण कई बड़े भ्रष्टाचार उजागर हुए, लेकिन इसमें और भी बहुत कुछ हो सकता था।
बंसल न्यूज डिजिटल के सवाल , सूचना आयुक्त के जवाब
सवाल : इस अधिनियम का उपयोग कर लोग ब्लैकमेलिंग तक करते हैं?
जवाब : ऐसा कौन सा कानून है जिसका दुरुपयोग नहीं होता है। मिस यूज की बात सही है। दिक्कत ये है कि एक्ट में आवेदक पर कोई कार्रवाई का प्रावधान नहीं है।
सवाल : मिस यूज को रोकने क्या कानून में संसोधन की जरूरत है!
जवाब : संसोधन तो पार्लियामेंट में ही हो पाएगा। 2005 में एक्ट बना था, अब 2024 है। एक्ट में कई लूपहोल्स है। कुछ कमियां हैं। संसोधन हो तो अच्छे के लिए हो।
सवाल : कई बार देखा गया की अधिकारी जानकारी नहीं देते!
जवाब : अधिकारी दस्तावेज को अपनी निजी संपत्ति या बपौती मानते हैं। RTI आवेदन लगा दो तो उनकी भौंहे तन जाती है। आखिर जानकारी छुपाता कौन है, जहां कुछ गड़बड़ हो, वहीं जानकारी छुपाई जाती है।
सवाल : प्रदेश में सबसे ज्यादा आरटीआई किस विभाग में लगती है?
जवाब : हर सरकारी दफ्तरों में लोगों को दस्तावेजों के लिए परेशान होकर घूमते हुए देखेंगे। शिकायत के दस्तावेज गुम गए। कागजों के गुमने की कहानी पुरानी है। एमपी में पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट ही नहीं है। यहां के दस्तावेज राम भरोसे हैं।
सवाल : कौन से विभाग आरटीआई का सबसे ज्यादा उल्लंघन करता है?
जवाब : सबसे ज्यादा आरटीआई का उल्लंघन पंचायत विभाग में होता है। सबसे ज्यादा शिकायतें लोगों की ये होती है कि विकास कार्य में भ्रष्टाचार हो रहा है। जहां बजट ज्यादा होगा, आरटीआई भी वहीं ज्यादा लगेगी।
सवाल : सचिव कई बार कहते हैं कि उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं है!
जवाब : यहां ट्रेनिंग की बात आती है। अक्सर कहते हैं कि कानून की जानकारी नहीं है। हमारा कहना है कि धारा 302 नहीं मालूम है तो इसका मतलब ये नहीं कि मर्डर कर देंगे। जानकारी न होना उल्लंघन का आधार नहीं बन सकता।
सवाल : कई बार शाखा प्रभारी ही आरटीआई को लेकर आनाकानी करने लगते हैं?
जवाब : पंचायत विभाग को ट्रेनिंग के लिए लिखा था। वो फाइल कहीं धूल खा रही होगी। सचिवों पर उनकी सैलरी से ज्यादा पेनाल्टी लगती है। कुछ कहते हैं कि सचिवों को सैलरी की जरूरत नहीं, पर हम तो कागज के हिसाब से चलेंगे।
सवाल : थर्ड पार्टी का हवाला देकर अक्सर जानकारी को छुपाने की कोशिश होती है!
जवाब : व्यक्तिगत जानकारी के सेक्शन का अधिकारी सबसे ज्यादा मिस यूज करते हैं। कोई जानकारी देने योग्य होती है तब भी सरकारी कार्यालयों में उसे छुपाया जाता है। हमने इसे लेकर जिम्मेदार पर पेनाल्टी भी लगाई है।
सवाल : एमपी में आरटीआई व्यवस्था को बेहतर करने के लिए आप कोई गुंजाईश देखते हैं?
जवाब : बिल्कुल, RTI लगाने की प्रक्रिया सरल होना चाहिए। प्रदेश में आनलाइन आरटीआई लगाने में कोई दिक्कत है तो उसे ठीक करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है। ऐसा नहीं कर ये कोर्ट की आवमानना भी हो रही है।
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30 मार्च के बाद खाली हो जाएगा आयोग
30 मार्च के बाद मुख्य सूचना आयुक्त और एकमात्र पोस्टेड राज्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में लोगों को जानकारी कैसे मिल पाएगी।
इस पर राहुल सिंह (RTI Question Exclusive Interview) ने कहा कि 10 हजार फाइलें अभी पेंडिंग पड़ी हुई है। यह पेंडेंसी और अधिक बढ़ेगी। सरकार से अपेक्षा है कि वह जल्द ही नियुक्ति करे।
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सर्विस बुक में चढ़े अधिकारी की लापरवाही
सूचना के अधिकार अधिनियम के पालन में और अधिक सुधार हो इसके लिए राहुल सिंह एक सबसे बड़ी सलाह देते हैं।
RTI को लेकर आपके मन में है Question, सूचना आयुक्त के Exclusive Interview में आपको यहां मिलेंगे सारे जवाब
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राहुल सिंह (RTI Question Exclusive Interview) के अनुसार सिर्फ एक प्रोविजन होना चाहिए कि आरटीआई एक्ट का जहां उल्लंघन हुआ वो उस जिम्मेदार अधिकारी की सर्विस बुक में चढ़ना शुरु हो जाए।
इसे अधिनियम का पालन सभी करना शुरु कर देंगे। पेनाल्टी सैलरी में से बाय डिफाल्ट कटना शुरु हो जाए। इससे एक बड़ा बदलाव आ जाएगा।