हाइलाइट्स
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Electoral Bond Scam में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने SBI को भेजा नोटिस
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चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि SBI को बॉन्ड के पूरे नंबर देने होंगे
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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर सुनवाई करेगी
Electoral Bond Scam: चुनाव आयोग ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बांड वाले सीलबंद लिफाफे वापस देने को कहा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि SBI ने बांड पर संख्याओं का खुलासा क्यों नहीं किया, जो दानदाताओं और राजनीतिक दलों के बीच संबंध दिखा सकता है।
Supreme Court lists for hearing on March 21 pleas challenging the Chief Election Commissioner and Other Election Commissioners Act, 2023, which dropped the Chief Justice of India from the selection panel of Election Commissioners.
Supreme Court also allows petitioners to file… pic.twitter.com/qvOnKHVAmt
— ANI (@ANI) March 15, 2024
सुप्रीम कोर्ट के अनुरोध पर जवाब देने के लिए एसबीआई के पास 18 मार्च तक का समय है।
बॉन्ड नंबरों का भी खुलासा किया जाए
अदालत ने कहा कि चुनावी बांड के बारे में सारी जानकारी जैसे इसे कब खरीदा गया, किसने खरीदा और इसकी कीमत कितनी थी, सार्वजनिक की जाएगी। जैसा कि आप जानते हैं, SBI ने हमें यूनि बांड संख्या नहीं बताई है।
कोर्ट ने SBI से कहा कि उनके पास जो भी जानकारी है वो दें। हम रजिस्ट्री से SBI को नोटिस भेजने के लिए भी कह रहे हैं।
SBI को मिला 18 मार्च तक का समय
Electoral Bonds | Supreme Court allows the request of ECI to return the data for being uploaded on the website.
Supreme Court says Registrar Judicial of the apex court to ensure that documents are scanned and digitised and once the exercise is complete the original documents… pic.twitter.com/W7rOJVPNDp
— ANI (@ANI) March 15, 2024
आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक को सूचित किया कि हमारे पास चुनावी बांड के संबंध में पूरी जानकारी प्रदान करने के स्पष्ट निर्देश हैं।
हालांकि, यूनिक नंबर की जानकारी अभी साझा नहीं की गई है। SBI को यह जानकारी तुरंत 18 मार्च तक साझा करने का निर्देश दिया गया है। चुनाव आयोग ने दो सूचियां जारी की हैं, एक में बॉन्ड खरीदने वालों के नाम और दूसरी में बॉन्ड की रकम चुकाने वाली पार्टियों के नाम।
यूनिक नंबर से क्या-क्या पता चलेगा (Unique number on electoral bonds)
यूनिक नंबर को अक्सर मैचिंग कोड कहा जाता है। इस नंबर से पता चलता है कि आखिर कोई खास बॉन्ड किसने खरीदी और किसके लिए खरीदी। मतलब अगर यूनिक नंबर हाथ लग जाए तो साफ-साफ पता चल जाएगा कि किस कंपनी, संस्था या व्यक्ति ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया है।
अभी SBI ने जो जानकारियां चुनाव आयोग को दी हैं, उससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस पार्टी को किससे कितना चंदा मिला है। अभी बस इतना पता चला है कि किस कंपनी ने कितनी कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं और किस-किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के कितने पैसे मिले।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम क्या है (Electoral Bond Scheme)
चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश की थी। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है।
इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।
विवादों में क्यों आई चुनावी बॉन्ड स्कीम ( Electoral Bond Controversy)
2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। वहीं, विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।
बाद में योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई, लेकिन सुनवाई 2019 में शुरू हुई। 12 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि वे 30 मई, 2019 तक में एक लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालांकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई।
बाद में दिसंबर, 2019 में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया था।
चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली प्रमुख कंपनियां
चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो राजनीतिक दलों को मदद के नाम पर सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड जिन कंपनियों ने खरीदे हैं उनमें ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स व वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं।