हाइलाइट्स
-
चकरा घाट के अष्टकोणीय मंदिर की अद्भुत मान्यता
-
मंदिर में मौजूद देश की अनूठी और दुर्लभ प्रतिमाएं
-
अक्सर शिवलिंग पर नजर आते हैं बड़े-बड़े नाग
Sagar Octagonal Shiv Temple: देश भर में वैसे तो आप ने काफी शिव मंदिर देंखे होंगे, लेकिन हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी अजब-गजब मान्यता है। हम बात कर रहे हैं सागर के चकरा घाट के पास बने प्राचीन अष्टकोणीय शिव मंदिर की। जहां मंदिर में मौजूद शिवजी को त्रिशूल भेंट नहीं किया जाता है। आखिर क्या है मंदिर की महिमा और क्या है इसका इतिहास आइए जानते हैं…
महादेव के मंदिर की है अजब-गजब मान्यता
सागर के गणेश घाट पर बना अद्भुत अष्टकोणीय शिव मंदिर है। जिसे करीब 300 साल पहले मराठा शासक गोविंद पंत बुंदेले ने 16वीं शताब्दी बनवाया था। इस मंदिर में शिवलिंग और नंदी के साथ श्री गणेश की प्रतिमाएं देश में की अनूठी और दुर्लभ प्रतिमाएं हैं। इस मंदिर के निर्माण में 35 से 40 साल लगे थे और यह भगवान शिव का ऐसा एकमात्र मंदिर है जहां शिव को त्रिशूल नहीं चढ़ाया जाता।
गणेश शिव मंदिर के नाम से विख्यात है यह मंदिर
इस मंदिर (Sagar Octagonal Shiv Temple) की खासियत यह है कि यहां पर शिवलिंग के साथ त्रिशूल नहीं लगाया जाता है। मान्यता है कि जो भी त्रिशूल लगाने की कोशिश करता है। उसके साथ कुछ न कुछ अनिष्ट होता है। एक बार एक शख्स ने त्रिशूल लगाने की कोशिश की थी। तो उसी रात उसकी मौत हो गई। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदिर परिसर में भगवान गणेश और महादेव विराजमान हैं। पिता पुत्र एक जगह पर होने की वजह से शंकर जी को त्रिशूल नहीं लगता है।
खुदाई को दौरान मिली थी भगवान गणेश की प्रतिमा
मंदिर में भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग स्थापित किया गया था। जबकि भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है, जो कि मंदिर निर्माण के दौरान खुदाई में निकली थी।
संबंधित खबर: Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि के ये पांच उपाय बदल देंगे आपका जीवन, जानें करने का तरीका
त्रिशूल चढ़ाने से रुष्ट होतें हैं भगवान शिव, श्री गणेश
इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि कथानुसार भगवान शिव ने क्रोध में आकर श्री गणेश पर त्रिशूल से प्रहार किया था। इस मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने से भगवान शिव और गणेश दोनों रुष्ट हो जाते हैं इसीलिए यहां त्रिशूल नहीं चढ़ाया जाता।
यहां मांगी गई मनोकामनाएं होती हैं पूरी
यहां आज भी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं, जो कि दावा करते हैं कि सच्चे मन से मांगी हुई मनोकामना को भगवान शिव और गणेश पूरी करते हैं। यहां अक्सर बड़े-बड़े नाग भी देखे गए हैं, जो किसी श्रद्धालुओं को नुकसान नहीं पहुंचाते और भगवान शिवलिंग के पास नजर आते हैं।