हाइलाइट्स
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ग्वालियर का एमबीए स्टूडेंट है पीड़ित छात्र
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आरटीआई से भ्रष्टाचार को किया था उजागर
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स्टूडेंट ने लगाए फर्जी केस दर्ज करने के आरोप
RTI MP: मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक स्टूडेंट ने सूचना के अधिकार अधिनियम में एक जानकारी क्या मांगी। उसे हथकड़ी तक लग गई।
जब कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो थक हाकर स्टूडेंट राज्य सूचना आयोग भोपाल पहुंचा और सूचना आयुक्त से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की।
बिजनेस एनालिटिक्स से MBA है स्टूडेंट
पीड़ित स्टूडेंट देवराज सिंह रजावत ने बिजनेस एनालिटिक्स से एमबीए किया हुआ है।
आरटीआई (RTI MP) के कारण अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर रजावत ने सूचना आयुक्त से पूछा कि आगे भी मेरी पढ़ने की चाह है।
अच्छे काम करने की चाह है। एक स्टूडेंट पर तीन से चार फर्जी केस लगा दिए तो मेरा भविष्य क्या होगा?
यूनिवर्सिटी थाने में लगाई हथकड़ी
देवराज सिंह रजावत ने बताया कि उस पर अवैध शराब की वसूली जैसे फर्जी केस लगाए गए क्योंकि उसने आरटीआई (RTI MP) में भ्रष्टाचार को उजागर किया।
यूनिवर्सिटी थाने में हथकड़ी तक लगाई गई, जबकि वह बार-बार कहता रहा कि वह एक स्टूडेंट है कम से कम हथकड़ी तो मत लगाओ, पर उसकी एक भी नहीं सुनी गई।
अधिकारियों को की शिकायत
देवराज सिंह रजावत ने बताया कि आरटीआई (RTI MP) लगाने के बाद जो भ्रष्टाचार उजागर हुआ उनसे से ही कुछ लोगों ने उस पर एक के बाद एक झूठे मामले दर्ज करवा दिए।
इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों को भी की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।
स्टूडेंट ने की निष्पक्ष जांच की मांग
रजावत ने सूचना आयुक्त से कहा कि वह मामले में निष्पक्ष जांच चाहता है। यदि वह दोषी है तो उसे सजा मिले, लेकिन यदि दोषी नहीं है तो उसका भविष्य खराब न किया जाए।
एक आरटीआई (RTI MP) लगाने की इतनी बड़ी सजा नहीं हो सकती।
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इस भ्रष्टाचार को रजावत ने किया उजागर
देवराज सिंह रजावत ने आरटीआई (RTI MP) के माध्यम से सरकारी नौकरी के लिए लगाए गए जाति सहित अन्य प्रमाण पत्रों की जानकारी निकाली थी, जो फर्जी पाए गए।
यह अलग-अलग भर्ती परीक्षा का मामला था। ताज्जूब की बात ये है कि रजावत ने जैसे ही इन भ्रष्टाचार को उजागर किया उस पर आपराधिक मामले दर्ज होते चले गए।
सूचना आयुक्त ने ये दिया आश्वासन
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने देवराज सिंह रजावत को मदद का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से बात करेंगे और जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच करवाएंगे।
जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। यदि आरटीआई लगाने से इस तरह के फर्जी मामले दर्ज किये जा रहे हैं तो ये गलत है।