हाइलाइट्स
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ओबीसी आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट में चल रही है सुनवाई
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एमपी में 87-13% के फार्मूले से हो रही है भर्तियां
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जीएडी के आदेश को चुनौती देने हाई कोर्ट में दायर होगी याचिका
MP OBC Reservation Issue: मध्य प्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के कारण 87-13% फार्मूले से हो रही नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
एमपी हाई कोर्ट से स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है।
बता दें कि अब तक 13 फीसदी पदों को होल्ड कर 87 फीसदी पदों पर भर्ती के लिए MPPSC-ESB की 41 परीक्षाओं का रिजल्ट जारी कर दिया है।
आदेश की वैधानिकता जांचने लगेगी याचिका
1 मार्च को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट जबलपुर की डबल बेंच ने स्पष्ट कर दिया था कि कोर्ट की ओर से 87-13% का कोई फार्मूला (MP OBC Reservation Issue) नहीं दिया गया।
कोर्ट ने ये भी कहा था कि महाअधिवक्ता के अभिमत के आधार पर यदि कोई आदेश जारी हुआ है तो वह उसका परीक्षण नहीं करेगा, लेकिन याचिका सामने आती है तो फिर कोर्ट आदेश के वैधानिकता का परीक्षण कर सकता है।
इसके बाद आदेश के खिलाफ पृथक से याचिका लगाने की तैयारी शुरु हो गई है।
जीतू पटवारी ने कहा- ये सरकार की मंशा पर सवाल
• मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर व कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा में 87% रिजल्ट घोषित किया जा रहा है और ओबीसी आरक्षण के नाम पर 13% रिजल्ट HOLD किया जा रहा है!
• मीडिया रिपोर्ट्स बता रही है कि इस मामले में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि "यह जो कुछ भी हो…
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) March 1, 2024
मामले को लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि यह निर्णय बीजेपी सरकार की मंशा पर उठा एक ऐसा सवाल है।
जिसका जवाब (MP OBC Reservation Issue) अब न केवल न्यायालय, बल्कि प्रदेश के हजारों-लाखों बेरोजगार युवाओं को भी देना ही होगा।
SC के निर्देश हैं 50 से अधिक नहीं हो आरक्षण
इंदिरा साहनी के एक प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने यह निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक (MP OBC Reservation Issue) नहीं होना चाहिए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में मराठा आरक्षण के मामले में भी कुल आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी ही निर्धारित की है।
मप्र में कुल आरक्षण 73 प्रतिशत
मध्यप्रदेश में एससी के लिए 16 फीसदी, एसटी के लिए 20, ओबीसी के लिए 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। इस तरह प्रदेश में कुल आरक्षण 73 फीसदी हो रहा है।
हालांकि हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत अभी ओबीसी को केवल 14 फीसदी आरक्षण ही दिया जा रहा है।