हाइलाइट्स
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महाभारत के श्री कृष्ण नीतीश भारद्वाज की IAS पत्नी ने किए खुलासे।
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पत्नी स्मिता ने कहा शादी बचाने के लिए रखी थीं शर्त।
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विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं नीतीश- स्मिता
MP Niteesh Bharadwaj News: ‘महाभारत’ में ‘श्रीकृष्ण’ का किरदार निभाने वाले एक्टर नीतीश भारद्वाज ने टीवी पर लोगों को भले ही गीता का सार पढ़ाया हो, भले उन्होंने परिवार और हर संबंध पर बताया हो। लेकिन वर्तमान में उनकी खुद की असल जिंदगी में गृह युद्ध मचा हुआ है।
आपको बता दें, कि महाभारत के श्रीकृष्ण नीतीश भारद्वाज ने अपनी दूसरी पत्नी IAS स्मिता पर आरोप लगाए। जिनमें उन्होंने कहा कि पत्नि स्मिता ने मुझे मानसिक तनाव दिया और बेटियों से नहीं मिलने दिया। ये खबरें खूब सुर्खियों में रहीं। लेकिन अब पहली बार ‘श्रीकृष्ण’ की पत्नी IAS स्मिता ने चुप्पी तोड़ते हुए चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
नीतीश भारद्वाज और पत्नी IAS स्मिता साल 2019 से अलग रह रहे हैं। उनके तलाक की प्रक्रिया चल रही है। पहली बार नीतीश भारद्वाज की पत्नि IAS स्मिता ने ‘श्रीकृष्ण’ के लगाए इल्जामों पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने जो कहा वो हैरान कर देने वाला है।
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विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं नीतीश- स्मिता
पत्नी IAS स्मिता ने पलटवार करते हुए कहा कि अब नीतीश विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। साथ ही उन्होंने एक्टर के दावों को झूठा और बेतुका बताया है।
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शादी बचाने के लिए शर्त रखी- स्मिता
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, IAS स्मिता ने कहा कि उनके पति ने उन पर नौकरी छोड़ने का दबाव डाला और जब मैने मना किया, तो उन्होंने तलाक का विकल्प चुना।
स्मिता ने यह दावा किया कि उनके पति चाहते थे कि वह अपनी नौकरी छोड़ दें और जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्होंने तलाक की कार्यवाही शुरू की।
कहा- मेरे से पैसे मांगे
स्मिता ने आगे कहा कि नीतीश चाहते थे कि मैं अपनी नौकरी छोड़ दूं, लेकिन मैने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने कहा कि तुम मुझे तलाक दे दो। उनकी इस बात पर तलाक के लिए तैयार हो गई, तो उन्होंने सहमति से तलाक के लिए पैसे मांगे।
जब मैने पैसे देने से मना कर दिया तो फिर उन्होंने खुद को पीड़ित बनाकर दुनिया के सामने पेश किया और विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया।
बच्चों की कभी नहीं भरी फीस
स्मिता ने दावा करते हुऐ कहा, कि जिन बच्चों की आज नीतीश जी बात कर रहे हैं, उन्होंने बच्चों के जन्म के बाद से पिता का कोई फर्ज ही नहीं निभाया। बच्चों के पालन-पोषण के खर्च में उनका कोई योगदान नहीं रहा। कानूनी बाध्यता के बावजूद न तो उन्होंने कभी बच्चों की स्कूल की फीस भरी और न ही उन्हें समर्थन देने के लिए कोई पैसा दिया।