इंदौर। MP News: ऐतिहासिक धार शहर की भोजशाला को वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर बताने वाले हिंदू पक्ष ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय से सोमवार को गुहार की कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस विवादित परिसर की समयबद्ध वैज्ञानिक जांच के निर्देश दिए जाएं। उच्च न्यायालय ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनकर इस गुहार पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने लगाई थी याचिका
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा ने भोजशाला मसले में याचिका दायर करने वाले सामाजिक संगठन ‘‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’’ के आवेदन पर सभी संबंधित पक्षों के तर्क सुने और भोजशाला परिसर की ‘‘वैज्ञानिक जांच’’ की गुहार पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिका में की गईं थी ये मांगे
इस आवेदन पर उच्च न्यायालय में बहस के दौरान ‘‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’’ की ओर से कहा गया कि एएसआई के निदेशक को निर्देश दिए जाने चाहिए कि वह करीब 1,000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच एंव सर्वेक्षण के साथ खुदाई और ‘‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’’ (जीपीआर) सर्वेक्षण समयबद्ध तरीके से कराएं और इसकी रिपोर्ट अदालत के सामने पेश करें।
सरस्वती मंदिर होने दावा पेश किया
भोजशाला के सरस्वती मंदिर होने के अपने दावे के समर्थन में हिंदू पक्ष ने उच्च न्यायालय के सामने इस परिसर की रंगीन तस्वीरें भी पेश की हैं। भोजशाला, केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है।
एएसआई के सात अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।
21 साल पुराने आदेश को दी चुनौती
एएसआई के करीब 21 साल पुराने आदेश को चुनौती देते हुए ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की ओर से अदालत में कहा गया कि यह फरमान भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच के बगैर जारी किया गया था और नियम-कायदों के मुताबिक किसी भी मंदिर में नमाज अदा किए जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
ASI ने कहा 1902 और 1903 में हुई थी जांच
एएसआई की ओर से उच्च न्यायालय में बहस के दौरान कहा गया कि उसने 1902 और 1903 में भोजशाला परिसर की स्थिति का जायजा लिया था और इस परिसर की वैज्ञानिक जांच की मौजूदा गुहार को लेकर उसे कोई भी आपत्ति नहीं है।
भोजशाला को मस्जिद बताता है मुस्लिम समुदाय
मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है। इस मस्जिद से जुड़ी मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने एएसआई के हाथों भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच कराने की मांग संबंधी ‘‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’’ की अर्जी पर आपत्ति जताई।
जबलपुर हाईकोर्ट में लंबित है मामला
सोसायटी की ओर से उच्च न्यायालय में कहा गया कि भोजशाला विवाद को लेकर एक रिट अपील उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित प्रधान पीठ में पहले से लंबित है और एएसआई का 7 अप्रैल 2003 का आदेश अब भी कानूनी रूप से वजूद में है। उच्च न्यायालय ने कहा कि भोजशाला मसले को लेकर जबलपुर स्थित प्रधान पीठ में लम्बित मुकदमे का सार उसके सामने जल्द से जल्द प्रस्तुत किया जाए।