हाइलाइट्स
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सीआईआरबी हिसार अप्रैल 2024 से प्रोजेक्ट पर शुरु करेगा काम
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प्रोजेक्ट के लिये बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन दे रहा है 15 करोड़ रुपए
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डेयरी किसानों को फायदा मिलने की है उम्मीद
Milk Monitoring System: आपसे यदि कोई ये कहे कि वो ये बता सकता है कि कल कौन सी भैंस ज्यादा दूध देने वाली है या कौन सी भैंस बीमार होगी तो आपको आश्चर्य होगा, लेकिन ये सब बहुत जल्द संभव होने वाला है।
दरअसल केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र हिसार ऐसा सेंसर (Milk Monitoring System) बनाने जा रहा है, जो देशभर की भैंसों की हर गतिविधि को मॉनिटर करेगा।
किसानों को मोबाइल पर मिलेगा मैसेज
सेंसर लगने के बाद किसान को ये पता चल सकेगा कि उसकी कौन सी भैंस कल कम दूध देने वाली है और इसका कारण क्या है, कौन सी भैंस बीमार होने वाली है या कौन सी पिछले कुछ दिनों से कम चारा खा रही है।
इसका समाधान भी बताया जाएगा। इसका किसान के मोबाइल पर मैसेज (Milk Monitoring System) भी आएगा।
15 करोड़ से अप्रैल में शुरु होगा प्रोजेक्ट पर काम
सीआईआरबी हिसार अप्रैल 2024 से इस प्रोजेक्ट (Milk Monitoring System) पर काम शुरू करेगा। इसके लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन 15 करोड़ रुपए देगा।
सेंसर सीआईआरबी के वैज्ञानिक आईआईटी रोपड़ व आस्ट्रेलिया की ऑडलेड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाएगी।
सेंसर इस तरह से करेगा काम
सेंसर बनने के बाद भैंस के शरीर में यह लगा दिया जाएगा। हर गांव में एक एंटिना होगा जो सीआईआरबी के सर्वर से जुड़ा रहेगा। यहां सेंसर लगी सभी भैंसों का हर तरह का डेटा एकत्रित (Milk Monitoring System) होगा।
वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट से यह समस्या दूर होगी। इसका मुख्य उद्देश्य भैंसों की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाना, समय पर गर्भधारण और बीमारी से बचाना है।
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किसानों को ये मिलेगा फायदा
अभी ऐसा कोई ठोस सिस्टम नहीं है कि समय से पहले किसानों को ये पता चल सके कि कौन सा पशु बीमार पड़ने वाला है या उसके व्यवहार में कोई बदलाव आ रहा है। क्या खाने से उसे फायदा हो रहा है और क्या खाने से नुकसान।
सेंसर लगने के बाद (Milk Monitoring System) यह सब किसानों को पता चल सकेगा। इससे डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों की भैंस से संबंधित समस्या का हल हो जाएगा।
पहले फेज में मुर्रा और नीली रावी नस्ल की भैंस को लगेगा सेंसर
प्रोजेक्ट के पहले फेज में मुरां और नीली रावी नस्ल की भैंस को सेंसर (Milk Monitoring System) लगाया जाएगा। मुर्रा को इसलिए चुना गया क्योंकि देश में सबसे अधिक 42.8 प्रतिशत मुर्रा भैंस है।
वहीं नीली रावी 0.1 प्रतिशत है। ऐसे में नीली रावी नस्ल की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मेहसाना 4 प्रतिशत, सूरती 2.2 व जाफराबादी भैंस 1.9 प्रतिशत है।
2029 तक बन जाएगा सेंसर
अभी देश में भैंसों की कुल संख्या 10.9 करोड़ है। 2029 तक सेंसर (Milk Monitoring System) बनेगा और उसका परीक्षण पूरा हो जाएगा।
इसके बाद इसे भैंसो पर लगाया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इससे डेयरी किसानों को फायदा मिल सकेगा।