हाइलाइट्स
-
एंटी डकैती कोर्ट में चला मुकदमा, कुछ आरोपी नहीं पकड़ पाई पुलिस
-
दो राज्यों की जेल में बंद आरोपियों के कारण कार्यवाही में हुई देरी
-
फैसला आते-आते दो ही आरोपी बचे, एक सबूत के अभाव में दोष मुक्त
कानपुर। Phoolan Devi Behmai Case: 43 साल पहले हुए सबसे चर्चित बेहमई कांड में ठीक 43 साल यानी 14 फरवरी 2024 को कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
एंटी डकैती कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमित मालवीय की अदालत ने एक दोषी को आजीवन करावास की सजा सुनाई है।
वहीं एक आरोपी को दोष मुक्त कर दिया है।
बता दें कि 43 साल चले इस मुकदमे में कई आरोपियों की मौत (Phoolan Devi Behmai Case) हो चुकी है, वहीं फरार तीन आरोपियों को भी पुलिस आज तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
इस फैसले के बाद एक बार फिर से बेहमई के सबसे बहुचर्चित कांड की चर्चा होने लगी है।
बता दें कि फूलन देवी ने एक साथ 20 लोगों को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था।
संबंधित खबर:कलेक्टर ने सील की थी फैक्टरी, मालिक को हुई थी 10 साल की सजा; फिर कैसे हो गई 11 लोगों की मौत?
सबूत नहीं मिले, दोषमुक्त
एंटी डकैती कोर्ट (Phoolan Devi Behmai Case) के विशेष न्यायाधीश अमित मालवीय की अदालत ने दोषी श्यामबाबू को आजीवन कारावास और 50 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है।
इसी मामले में एक अन्य अरोपी के विश्वनाथ के खिलाफ सबूत नहीं मिले। जिसे सबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार दिया है।
14 फरवरी 1981 को सामूहिक नरसंहार
बता दें कि सिकंदरा के बेहमई गांव (Phoolan Devi Behmai Case) में सबसे चर्चित नरसंहार की चर्चा देश ही नहीं विदेशों में भी हुई थी।
बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को दस्यु फूलन देवी ने सामूहि नरसंहार (हत्या) की घटना को अंजाम दिया था।
इस हत्या कांड में एक साथ 20 लोगों को मौत के घाट उतारा था। वहीं छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
बता दें उक्त नरसंहार का मुकदमा गांव के राजाराम ने दर्ज कराया था। जिसकी सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट में चल रही थी।
बीच में रुकी थी मुकदमे की कार्यवाही
बचाव पक्ष के अधिवक्ता गिरीश नारायण दुबे के अनुसार 24 नवंबर 1982 तक इस केस (Phoolan Devi Behmai Case) में 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
इस केस में कुछ आरोपी जो मध्य प्रदेश की जेल में बंद थे, इसके चलते मुकदमे में उनकी हाजिरी न होने से कई सालों तक आरोपियों पर आरोप तय नहीं हो सके थे।
इससे कुछ सालों तक मुकदमे की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी।
कई आरोपियों की हो चुकी मौत
नरसंहार केस (Phoolan Devi Behmai Case) में लंबी कार्यवाही के चलते कुछ आरोपियों की तो मौत भी हो चुकी है।
कुछ आरोपी जमानत के बाद फरार हो गए, वहीं कुछ आरोपी को पुलिस पकड़ ही नहीं पाई। बता दें कि वर्ष 2007 में आरोपी राम सिंह, रतीराम, भीखा और बाबूराम के खिलाफ पहली बार आरोप तय हुए थे।
इसके बाद वर्ष 2012 में आरोपी पोसा, विश्वनाथ और श्यामबाबू, राम सिंह, भीखा पर दोबारा आरोप तय हुए।
24 सितंबर 2012 को पहली बार राजाराम की कोर्ट (Phoolan Devi Behmai Case) में गवाही हुई। इसके बाद 2015 तक कुल 15 गवाह पेश किए गए।
इसके बाद भी इस फैसले को आने में नौ साल लग गए। इस बीच एक-एक कर सभी आरोपियों की मौत हो गई।
इसके बाद सिर्फ श्यामबाबू और विश्वनाथ ही बचे थे। सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने श्यामबाबू को उम्रकैद की सजा सुनाई
जबकि घटना के समय किशोर रहे विश्वनाथ को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।