हाइलाइट्स
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कैसे आती है सरकार की इनकम
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कहाँ-कहाँ सरकार करती है खर्च
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किन सोर्स से आती है सरकार की इनकम
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किस प्रकार से 1 रूपए की होती है हिस्सेदारी
Budget 2024: आज 1 फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नयी संसद में अंतरिम बजट (Budget 2024) पेश करेंगी.नयी संसद में संयुक्त सत्र के समक्ष सुबह 11 बजे से वित्त मंत्री बजट से संबंधित भाषण देगी.सरकार बजट तो पेश करती हैं लेकिन आखिर सरकार के पास पैसा कहाँ से आता है.यह सवाल देश के हर व्यक्ति के मन में आता है.आज हम आपको बताएँगे की सरकार के पास पैसा कहाँ से आता है.और कैसे सरकार हर सेक्टर में कार्य के लिए इस्तेमाल करते हैं.इस बात को हम 1 रूपए के हिसाब से समझायेंगे.
किस सोर्स से जुटाती है सरकार पैसा
बता दें भारत सरकार टैक्स और नॉन-टैक्स सोर्स से अपना रेवेन्यू जनरेट करती है.टैक्स रेवेन्यू यानि लर, डीलर, वेंडर, दुकानदार की तरफ से किये जाने वाले भुगतान को डायरेक्ट टैक्स कहते हैं. तो वहीँ सरकारी कंपनियों का मुनाफा, सरकार द्वारा किए गए निवेश पर मिला रिटर्न, सरकार को या तो उसके स्वामित्व वाली कंपनी या पूरी कंपनी को बेचने पर मिलने वाली राशि को नॉन-टैक्स कहा जाता है.इसके अलावा टैक्स की भी दो डायरेक्ट और इनडायरेक्ट (Budget 2024) केटेगरी होती हैं.उदहारण के लिए सरकार को रेवेन्यू में 1 रूपए मिलता है. तो यह 1 रूपए कहाँ और किस-किस सौर्स से आता है.
कैसे रहती है 1 रूपए की हिस्सेदारी
पिछले वर्ष सरकार द्वारा जारी पाई चार्ट में 1 रूपए (Budget 2024) के भाग कुछ इस तरह से रहते हैं इनकम और कॉर्पोरेट टैक्स दोनों में 15 पैसे, जीएसटी में 17 पैसे की हिस्सेदारी कुल मिलाकर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 7 पैसे रहा जबकि सीमा शुल्क 4 पैसे था. इसी तरह सरकार खर्च चलाने के लिए संपूर्ण राशि नहीं बना सकती है. जिस वजह से सरकार को बाज़ार से कर्जा लेना पड़ता है.अब इस पाई-चार्ट के मुताबिक उधार और दूसरी देनदारियां के 1 रूपए में से 34 पैसे शामिल थे.इसक साथ ही डिसइन्वेस्टमेंट और नॉन डेब्ट कैपिटल रिसीट्स में 2 पैसे और नॉन टैक्स रिसीट्स में 6 पैसे शामिल रहे.
कैसे होता है खर्च
अब जानतें हैं की सरकार इस एक रूपए को किस प्रकार से खर्च करते हैं.पिछले वर्ष के बजट में उधारी पर ब्याज में 20 पैसे शामिल थे.
इनकम के बाद अब नजर खर्च पर डाल लेते हैं। खर्च के मोर्चे पर, पिछली उधारी पर ब्याज भुगतान सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें 20 पैसे शामिल हैं। इसके बाद करों और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी 18 पैसे और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में 17 पैसे है। केंद्र-प्रायोजित स्कीम्स कुल सरकारी खर्च का 9 पैसे हैं जबकि रक्षा 8 पैसे है। सरकार अलग-अलग सब्सिडी पर करीब 7 पैसे खर्च करती है जबकि अन्य खर्च के तौर पर 8 पैसे खर्च करती है।