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13 किलो का संविधान, पार्चमेंट पेपर पर लिखा
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दुनिया का एकमात्र संविधान जिसके हर भाग में चित्रकारी
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद के तिरछे हस्ताक्षर की कहानी
Indian Constitution: कई लोगों को ऐसा लगता है कि हमारा संविधान डॉ. भीमराव अंबेडकर ने लिखा है, लेकिन इसके लेखक प्रेम बिहारी नारायण रायजादा हैं।
असल बात ये है कि डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी भाषा में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी। इसको लिखने में उन्हें 6 महीने लगे और कुल 432 निब (इंक पेन) घिस गईं।
आईए जानते हैं भारत का संविधान बनाने, उसे लिखने और उसे सुरक्षित रखने से जुड़ी 6 दिलचस्प बातें:
फीस लेने से किया इनकार, कहा ‘मेरे पास सब कुछ है’
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने खुद प्रेम बिहारी से संविधान की मूल कॉपी लिखने की विनती की थी। प्रेम बिहारी ने न केवल इसे लिखने के लिए हाँ की, बल्कि इसके बदले में कोई फीस लेने से भी मना कर दिया।
उन्होंने कहा- मेरे पास भगवान का दिया सब कुछ है और मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं। लेकिन मेरी एक शर्त है। मैन इसके हर एक पेज पर अपना नाम और आखिरी पेज पर दादाजी का नाम लिखना चाहूँगा।’
दुनिया का एकमात्र संविधान जिसके हर भाग में चित्रकारी
संविधान को लिखने में बिहारी को 6 माह का समय लगा। इस दौरान 432 पेन की निब घिस गईं। प्रेम बिहारी को संविधान हॉल में एक रूम दिया गया, जो बाद में संविधान क्लब बन गया। भारत का संविधान दुनिया में एकमात्र संविधान है, जिसके हर भाग में चित्रकारी भी की गई है।
इसमें भगवान राम-सीता से लेकर अकबर और टीपू सुल्तान तक के चित्र बने हुए हैं। इन चित्रों को नंदलाल बोस की के द्वारा लीड की गई टीम ने सजाया। उनके नाम भी संविधान की मूल कॉपी में लिखे हुए हैं।
13 किलो का संविधान, पार्चमेंट पेपर पर लिखा
13 किलोग्राम के संविधान की पांडुलिपि 45.7X 58.4 सेंटीमीटर के पार्चमेंट पेपर पर लिखी गई। सेलुलोस बेस्ड पार्चमेंट कागज को खास एक्सपेरिमेंट से नॉन स्टिक बनाया जाता है। यह पेपर इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर से मंगवाया गया था।
वसंत कृष्ण वैद्य ने लिखी है हिन्दी कॉपी
संविधान की हिंदी कॉपी को कैलीग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने अपने हाथ से लिखी है। इसका कागज इंग्लिश कॉपी से अलग है। हिंदी कॉपी को हैंडमेड पेपर रिसर्च सेंटर पुणे में बनाया गया है। संविधान की हिंदी कॉपी में कुल 264 पन्ने हैं। हिन्दी में लिखित संविधान 14 किलोग्राम का है।
खास तरीके से सील हैं बॉक्स
GCI ने 3 बॉक्स बनाए जो सीलबंद हैं, जिनमें से दो बॉक्स मार्च 1994 में कैलिफोर्निया से नई दिल्ली भेजे गए। इन बॉक्स में 40-50% नमी के साथ नाइट्रोजन गैस भरी है, जिनमें ऑक्सीजन की मात्रा 1% से ज्यादा नहीं होती।
जबरदस्त टेक्नोलॉजी की सीलिंग के बावजूद दोनों बॉक्स में हर 7 महीने में 5 क्यूबिक सेंटीमीटर ऑक्सीजन घुस जाती है। इससे निपटारे के लिए दोनों बॉक्स में ऐसे केमिकल रखे गए हैं, जो ऑक्सीजन का निपटारा कर देते हैं।
तिरछे हस्ताक्षर की कहानी
संविधान की मूल कॉपी पर सबसे पहले हस्ताक्षर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के होने थे, लेकिन जवाहर लाल नेहरू पहले पहुंचे और उन्होंने सबसे ऊपर हस्ताक्षर कर दिए। जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद हस्ताक्षर करने पहुंचे तो उन्हें पेज पर ऊपर की ओर जगह नहीं मिली।
तब वहां मौजूद स्टाफ ने कहा कि आप पंडित जी के हस्ताक्षर के ऊपर बची थोड़ी सी जगह में हस्ताक्षर कर दीजिए। यही कारण है कि राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर सबसे ऊपर तिरछे हैं।