गुना। MP News: जिले के तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव के खिलाफ राज्य सूचना आयुक्त ने जुर्माना लगाया है। तहसीलदार ने कार्रवाई करते हुए ग्रामीण क्षेत्र की एक महिला का मकान तोड़ दिया था। इसकी जानकारी तहसीलदार ना तो राजस्व के नियम के तहत दी और ना ही आरटीआई आवेदन में दी।
लापरवाही बरते पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने तहसीलदार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है। बता दें कि तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव खरगोन में पदस्थ हैं।
RTI आवेदन के जरिए मांगी गई थी जानकारी
गुना के मालपुर रोड ग्रामीण इलाके की सकी बाईं ने RTI आवेदन मार्च 2021 मे दायर कर अपने पति के नाम से दर्ज मकान तोड़ने की कार्रवाई की जानकारी तहसील कार्यालय गुना से मांगी थी। श्रीमती सकी बाईं ने आयोग को बताया कि मकान तोड़ने पर जुर्माने की ₹5000 की रसीद उनके नाम पर बनाई गई जबकि मकान उनके पति के नाम पर था और उन्हें कोई नोटिस भी नहीं मिला था।
सकी बाईं ने लगाया था रिश्वत का आरोप
सकी बाईं ने आयोग के समक्ष यह भी आरोप लगाया कि तहसील कार्यालय ने उनसे ₹300000 रिश्वत ली थी। सूचना आयोग ने सकीं बाईं को सलाह दी कि अगर उनके पास कोई रिश्वत लेने का प्रमाण है तो वह प्रमाण के साथ लोकायुक्त जैसी भ्रष्टाचार निरोधक संस्था में शिकायत दर्ज करके कार्रवाई करवाने के लिए स्वतंत्र हैं। आयोग के आदेश के बाद गुना के वर्तमान तहसीलदार ने सकी बाईं को जानकारी उपलब्ध करा दी है।
जानकारी नहीं देने पर हुई कार्रवाई
तत्कालीन तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव ने श्रीमती सखी भाई को आरटीआई आवेदन में जानकारी यह कहते हुए नहीं दी कि वह राजस्व के नियम के तहत आवेदन देकर नकल प्राप्त करे। श्रीमती सखी बाई ने संदीप श्रीवास्तव के कहे अनुसार तहसील कार्यालय में बाकायदा नकल के लिए एक और आवेदन दायर किया लेकिन उसके बावजूद और पैसे भी जमा किए लेकिन इसके बावजूद तहसील कार्यालय में उन्हें जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।
तहसीलदार ने नहीं दी थी जमीन की नकल
इसके बाद सखी बाईं ने एक स्मरंण पत्र भी संदीप श्रीवास्तव को लिखा कि उनके द्वारा RTI आवेदन में भी जानकारी मांगी गई और राजस्व विभाग के नियम के तहत भी नकल हेतु आवेदन दिया गया लेकिन उन्हें जानकारी प्राप्त नहीं हुई है और इसीलिए जानकारी उन्हें दिलाई जाए। लेकिन इस पत्र के बावजूद तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव ने श्रीमती सखी बाई को जानकारी नहीं दी।
संदीप श्रीवास्तव ने रखा था अपना पक्ष
आयोग ने संदीप श्रीवास्तव को ₹25000 जुर्माने का कारण बताओं नोटिस जारी किया तो संदीप श्रीवास्तव ने राजस्व के नियम के साथ कई कोर्ट आर्डर का हवाला देते हुए आयोग को जवाब दिया उनके कार्यालय में आरटीआई अधिनियम के तहत नकल देना प्रभावी नहीं होगा क्योंकि वहां राजस्व के नियम के तहत पहले सी नकल देने की व्यवस्था है एवं पूर्व में आवेदिका को नकल दी जा चुकी है।
सूचना आयोग ने की सुनवाई
आयोग के समक्ष सुनवाई में सखी बाईं ने इनकार किया कि उन्हें किसी भी तरह का कोई नकल संदीप श्रीवास्तव द्वारा उपलब्ध कराई गई थी। वही संदीप श्रीवास्तव इस बात का कोई सबूत भी आयोग के सामने नहीं रख पाए की विभाग के नियम के तहत उन्होंने कोई नकल सखी भाई को उपलब्ध कराई थी।
तहसीलदार की बात खारिज
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने संदीप श्रीवास्तव द्वारा दिए दलील को खारिज कर दिया। सिंह ने कहा कि अन्य कोर्ट के ऑर्डर इस प्रकरण विशेष में लागू नहीं होते हैं क्योंकि अधिकारी विभाग के नियम के तहत भी नकल नहीं दे रहे हैं और आरटीआई आवेदन में भी नकल नहीं दे रहे हैं, आखिर आम आदमी जानकारी के लिए कहा जाए।
आदेश में कही गई ये बात
सिंह में आदेश में कहा कि ऐसी स्थिति में सूचना का अधिकार अधिनियम जानकारी हो नकल देने की अन्य नियम और कानून पर अध्यारोही प्रभाव भी रखता है। सिंह ने कहा कि अगर अधिकारी विभाग में विभाग के नियम के तहत भी नकल ना दे और आते आवेदन में भी नकल ना दे ऐसे में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने की प्रासंगिकता ही खत्म हो जाएगी।