Kaliyasot River Encroachment: सरकारी दस्तावेजों में दर्ज राजधानी भोपाल की इकलौती नदी कलियासोत के ग्रीन बेल्ट यानी फुल टेंक लेवल से 33 मीटर के दायरे में हुए अतिक्रमण (Kaliyasot River Encroachment) को हटाने की कार्रवाई हाईकोर्ट के स्टे के बाद रूकी हुई है, लेकिन एक बार फिर यह मुद्दा सुर्खियों में है।
वजह से ग्रीन बेल्ट के दायरे में आये कौन से अतिक्रमण (Kaliyasot River Encroachment) हटेंगे और कौन से नहीं। इसे लेकर कहा जा रहा है कि ग्रीनबेल्ट के दायरे में यानी सामान्य शब्दों में कहें तो 33 मीटर के अंदर यदि निर्माण की किसी के पास परमिशन है तो उसका अतिक्रमण (Kaliyasot River Encroachment) नहीं हटाया जाएगा।
सिर्फ वे ही अतिक्रमण हटेंगे जिनके पास परमिशन नहीं है। हालांकि जब निगम (BMC) के अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की गई तो सामने आया कि भोपाल नगर निगम (BMC) ने कभी नदी के ग्रीन बेल्ट यानी 33 मीटर पर निर्माण की किसी को कोई अनुमति नहीं दी।
यदि किसी ने अनुमति की आड़ में नदी के ग्रीन बेल्ट पर निर्माण किया है तो वह अतिक्रमण (Kaliyasot River Encroachment) ही कहलाएगा। यानी जो निर्माण नदी के मुहाने पर हो गए हैं उन पर कार्रवाई की तलवार लटकी रहेगी।
परमिशन नहीं, फिर कैसे हुए निर्माण
कलियासोत नदी के किनारे की जमीनों पर बिल्डर और व्यक्तिगत लोगों ने निर्माण की अनुमति के लिए निगम से परमिशन मांगी। राजधानी भोपाल में वर्तमान में मास्टर प्लान 2005 लागू है। जिसके अनुसार नदी के दोनो ओर 33—33 मीटर ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित है।
भोपाल नगर निगम (BMC) ने इस नियम का पालन भी किया और किसी को ग्रीन बेल्ट पर निर्माण की लिखित अनुमति नहीं दी। हालांकि ग्रीन बेल्ट को छोड़कर जो निर्माण की अनुमति मिली, बिल्डर या लोगों ने उससे अधिक नदी की ओर निर्माण कर लिया।
उस समय के तात्कालिक जिम्मेदार अधिकारी इसे रोक नहीं पाए और एक के बाद एक ग्रीन बेल्ट में निर्माण होते चले गए।
अब निगम आगे क्या करेगा
मामले में हाईकोर्ट का स्टे है। जिन लोगों को ये स्टे मिला है फिलहाल उन पर कोर्ट का निर्णय आने तक कोई कार्रवाई नहीं होगी। शेष बचे अतिक्रमणकारियों (Kaliyasot River Encroachment) से परमिशन से संबंधित दस्तावेज बुलाये जा रहे हैं।
निगम इन दस्तावेजों के आ जाने के बाद ये जांच करेगा कि जिन अनुमतियों का हवाला दिया जा रहा है वे कहां की है और निर्माण कहां हुआ है। निगम (BMC) अपनी ओर से कंफर्म है कि नदी के 33 मीटर पर निर्माण की अनुमति नहीं दी गई, फिर भी वह कोई भी कार्रवाई से पहले इसे अपने लेवल पर क्रॉस चेक कर रहा है। जिसकी स्क्रूटनी भी शुरू हो गई है। शासन ने इस मामले में हाईलेवल कमेटी बनाई है।
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एनजीटी के आदेश में भी कहीं कुछ ऐसा नहीं
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 11 अगस्त 2023 को कलियासोत नदी के ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण (Kaliyasot River Encroachment) हटाने और उसे डेवलप करने से संबंधित 3 पेज का आदेश दिया था जिसमें 10 बिंदु शामिल थे। इस आदेश में भी कहीं कुछ ऐसा नहीं लिखा है कि 33 मीटर के दायरे में यदि किसी के पास कोई अनुमति हो तो उसे छोड़कर शेष अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जाए।
बिंदु नंबर 1, 2, और 3 में केस से संबंधित संक्षिप्त जानकारी दी गई है।
बिंदु 4 में यह सवाल उठाया गया कि 33 मीटर का माप किस आधार पर किया जाएगा। बिंदु 5 में नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के हलफनामें का जिक्र है जिसमें 33 मीटर की माप राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर किये जाने का उल्लेख है।
बिंदु 6, 7 और 8 में प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई और नगर निगम (BMC) आयुक्त फ्रेंक नोबल ए के हलफनामे का ही जिक्र है, जिसमें यह बताया गया है कि अतिक्रमणों की पहचान दो महीने में करने के बाद 31 दिसंबर 2023 तक इन्हें हटा लिया जाएगा।
बिंदु 9 और 10 में अधिकारियों द्वारा हलफनामे में कही गई बात का पालन करने और 15 जनवरी 2024 तक कंप्लाइंस रिपोर्ट सबमिट करने के आदेश की जानकारी दी गई है।
अब अधिकारियों की शिकायत
कलियासोत नदी मामले के याचिकाकर्ता डॉ. सुभाष सी. पांडे ने कहा कि कुछ लोग जान बूझकर ऐसे स्टेटमेंट दे रहे हैं, जिससे इस मामले में भ्रम की स्थिति बन रही है। न तो प्रमुख सचिव के हलफनामे में और न ही एनजीटी के आदेश में ऐसा कुछ कहा गया है कि नदी के अंदर भी अतिक्रमण (Kaliyasot River Encroachment) कर लिया हो और कोई परमिशन हो तो उसे तोड़ा नहीं जाएगा।
सीधा आदेश है 33 मीटर के दायरे में अतिक्रमण (Kaliyasot River Encroachment) की पहचान कर कार्रवाई करना है। अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए मामले को तोड़—मरोड़कर पेश कर रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ पृथक से शिकायत कर रहे हैं।
वैसे भी एनजीटी (NGT) के आदेश के ऊपर सिर्फ शीर्ष न्यायिक संस्थाएं आ सकती है, कोई भी अधिकारी भले एनजीटी (NGT) के आदेश से अलग हटकर अपना कोई नया आदेश नहीं दे सकता।
वहीं नगर निगम के सिटी प्लानर नीरज आनंद लिखार ने कहा कि एनजीटी के आदेश का पालन किया जाएगा। हम अभी परमिशन को चेक करवा रहे हैं कि निर्माण की अनुमति कहां के लिये दी गई थी और निर्माण हुआ कहां पर है।
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