रायपुर। CG Politics: सोमवार को JCCJ अध्यक्ष अमित जोगी (Amit Jogi) ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उनकी इस मुलाकात के बाद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-जे (JCCJ) के बीजेपी में विलय की चर्चा तेज हो गई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ता अपने भविष्य के कारण विलय चाहते हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा। जिसके चलते पार्टी के कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं।
2023 में मिली जेसीसीजे को निराशा
आपको बता दें कि 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे की बुरी तरह हार हुई। छत्तीसगढ़ में अमित जोगी (Amit Jogi) की पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी। यहां तक की कोटा से डॉ. रेणु जोगी तक चुनाव हार गईं थीं। पाटन से अमित जोगी जमानत नहीं बचा पाए तो वहीं ऋचा जोगी भी विधानसभा का चुनाव हार गई थीं। अमित जोगी (Amit Jogi) ने भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें सिर्फ 4822 वोट ही मिले थे।
2018 में खुला था खाता
पिछली बार यानी 2018 के विधानसभा चुनाव में जकांछ और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में दोनों पार्टियों ने मिलकर 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसमें जकांछ के खाते में 5 और बसपा के खाते में 2 सीट आई थी। लेकिन इस बार दोनों दलों से एक भी विधायक नहीं चुना गया।
संकट के दौर से गुजर रही जेसीसीजे
दरअसल छत्तीसगढ़ में जोगी कांग्रेस अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। अपने पिता की विरासत बचाने उतरे अमित जोगी (Amit Jogi) जमानत तक नहीं बचा पाए। इस विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त से साथ जोगी की पार्टी का वोट शेयर भी घट गया था। अमित जोगी के अलावा जेसीसीजे में फिलहाल कोई दिग्गज नेता नहीं है। पार्टी के पतन की वजह से सभी बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।
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कांग्रेस के आरोप होंगे सच!
छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी की पार्टी का अगर बीजेपी में विलय होता है तो क्या अमित जोगी (Amit Jogi) का संकट कम हो पाएगा। हालांकि, इस सियासी घटनाक्रम का एक दूसरा पहलू भी है। दरअसल कांग्रेस के तमाम नेता हमेशा से ही जोगी कांग्रेस को बीजेपी की बी-टीम बताती रही है। अगर ये विलय होता है, तो कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा मिल जाएगा।
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2024 में होगा फायदा
अमित जोगी (Amit Jogi) की अमित शाह से मुलाकात कई तरह के समीकरण और मायने लेकर आई है। अमित जोगी भले ही खुलकर ना कहते हुए महज संकेत दे रहे हों। बीजेपी में अगर अमित जोगी (Amit Jogi) शामिल होते हैं तो आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी उन्हें आदिवासी चेहरे के तौर पर पेश कर सकती है। इससे बीजेपी को कितना फायदा होगा ये कहना तो फिलहाल मुश्किल है, लेकिन अमित जोगी की पार्टी जेसीसीजे को संजीवनी जरूर मिल जाएगी।
किसे किसकी जरूरत?
एक तरफ बीजेपी है, जिसने अपने दम पर 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल की है। वहीं दूसरी तरफ जेसीसीजे है जिसका प्रर्दशन 2023 के विधानसभा चुनाव में बेहद निराशाजनक रहा था। सियासी समीकरणों पर नजर डालें तो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अमित जोगी (Amit Jogi) की पार्टी को ही बीजेपी के सहारे की ज्यादा जरूरत है।
जेसीसीजे कार्यकर्ता चाहते हैं विलय
सूत्रों के मुताबिक 80 फीसदी से ज्यादा कार्यकर्ता बीजेपी के साथ विलय चाहते हैं। हालांकि अभी पार्टी के कार्यकर्ता अमित जोगी (Amit Jogi) के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि अभी तक बीजेपी या जेसीसीजे के तरफ से इस विलय को लेकर आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
अजीत जोगी नहीं चाहते थे विलय
BJP से गठबंधन को लेकर पूर्व सीएम अजीत जोगी के पुराने बयानों की मानें तो वो कभी भी ये नहीं चाहते थे। छत्तीसगढ़ में जेसीसीजे के गठन के दौरान पूर्व सीएम अजीत जोगी ने बयान देते हुए कहा था कि सूली पर लटका दो, लेकिन बीजेपी को समर्थन नहीं करूंगा। उन्होंने आठ धार्मिक ग्रंथों को साक्षी मानकर कहा था कि चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, मैं मौत को गले लगाना अच्छा मानूंगा।
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