Ratlam News: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है, जिसको लेकर पूरे देश में खुशी का माहौल है और मंदिर को भी सजाया-संवारा जा रहा है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की ओर से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुख्य यजमान के रूप में आमंत्रित किया है। प्रधानमंत्री अपने हाथों से रामलला की मूर्ति को गर्भ गृह में सिंहासन पर विराजमान कराएंगे।
इसे लेकर ओडिशा के जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने विरोध जताते हुए रातलाम में बयान देते हुए कहा कि ‘मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो क्या मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या?
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स्वामी निश्चलानंद सरस्तवती ने रतलाम (Ratlam News) में बयान देते हुए कहा मेरे पद की भी मर्यादा है, राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊंगां।
आगे कहा – कि मूर्ति की स्थापना, प्राण-प्रतिष्ठा में शास्त्रों के सम्मत परंपरा का पालन होता है। सभी के पूर्वज, सनातनी वैदिक आर्य हिंदू ही थे। वर्तमान प्रधानमंत्री कूटनीति में माहिर हैं। राजनेता तो दांव खेलते रहते हैं।
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इतना तो में मानता हूं, कि उनमें इतना दम तो है, कि वे अपने को सनातनी, धार्मिक, हिंदू साबित करने में लगे हैं, शास्त्र और सम्मत हो जाएगा तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। (Ratlam News)
शंकराचार्य ने कहा कि ताजमहल का असली नाम तेजो महादेव है। मक्का का असल नाम मक्केश्वर महादेव है। देखा जाए तो वर्तमान में तीर्थस्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। धर्म की सीमा में ही राजनीति की जा रही है।
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