Tragic Events of 2023: साल 2023 किसी के लिए बेहद अच्छा साबित हुआ. लेकिन उन परिवारों के लिए ये साल बेहद दर्द भरा रहा. इस साल देश में ऐसी तमाम दर्दनाक हादसे या घटनाएं घटी हैं.
साल 2023 को विदा देते वक्त हम भारत की ऐसी ही 05 घटनाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने देश भर की जनता को हिला कर रख दिया था.’
कई घटनाओं ने परिवारों को उजाड़ा तो कई ने लोगों से उनके अपने छिन लिए हैं.
1. बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट (2 जून 2023)
2 जून 2023 की शाम करीब 7 बजे। ओडिशा के बालासोर जिले के बहानगा में एक गलत सिग्नल की वजह से तीन ट्रेनें आपस में टकरा गईं थी।
शालीमार से चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841) बहानगा (बालासोर) में मेन लाइन से लूपलाइन में घुस गई। ये ट्रेन वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई।
कोरोमंडल के कुछ कोच बगल के ट्रैक पर बिखर गए। उसी वक्त बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट भी आ गई और कोरोमंडल के बिखरे हुए कोच से टकरा गई।
200 से ज्यादा लोगों ने गवाई अपनी जान
इस भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में 296 लोगों की मौत हुई थी.जबकि इस हादसे में 1200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। ये बीते 28 साल की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना थी।
लेकिन इसके छह महीने बीत जाने के बाद भी इस हादसे का खौफनाक मंजर कोलकाता-चेन्नई मार्ग पर यात्रा करने वाले लोगों के जेहन में अब भी है।
क्या हुई गलती
CBI ने बताया कि सीनियर डिवीजनल सिग्नल और टेलिकॉम इंजीनियर की मंजूरी के बिना मरम्मत कार्य किए जा रहे थे।
मेंटेनेंस के समय तारों की गलत लेबलिंग से ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी हुई और ट्रेन गलत ट्रैक पर चली गई।
इन लोगों को माना गया जिम्मेदार
हादसे के बाद तीन रेल कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था. जिसमें अरुण कुमार महंत (जूनियर इंजीनियर) एमडी आमिर खान (जूनियर सेक्शन इंजीनियर) और पापु कुमार (तकनीशियन) शामिल हैं.
इन तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना, या अपराध को लेकर गलत जानकारी देना) का आरोप लगा.
साथ ही आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया. सजा में अपराध की गंभीरता के आधार पर आजीवन कारावास और जुर्माना या कठोर कारावास की सजा दी गई है.
2. संसद की सुरक्षा में चूक (13 दिसंबर 2023)
संसद हमले की बरसी के दिन यानि 13 दिसंबर 2023 को मनोरंजन और सागर नाम के दो शख्स लोकसभा में तीन सुरक्षा घेरे को तोड़कर सदन में घुस गए थे।
इसके अलावा समय शिंदे और नीलम नामक महिला ने संसद के बाहर नारे लगाए थे.स्मोक स्टिक से धुआं फैलाया था।
जिसके बाद इन चारों को सुरक्षाबलों ने पकड़ लिया था। इस हमले का मास्टरमाइंड ललित झा अभी पुलिस हिरासत में है।
सुरक्षा में चूक की वजह
संसद में हुए आतंकी हमले की बरसी के बावजूद सत्र के दौरान अतिरिक्त सतर्कता नहीं बरती गई है। उस दिन स्टाफ भी पूरा नहीं था।
संसद में थ्री लेयर सिक्योरिटी चेक के दौरान भी विजिटर्स के जूते खुलवाकर अच्छे से तलाशी नहीं ली गई थी।
जांच रिपोर्ट में क्या आया
इस हमले के मास्टरमाइंड ललित झा ने हमलावरों से कम्यूनिकेट करने वाले फोनों को कथित तौर पर नागौर में जाकर जला दिया था.
जिसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फोन उस गेस्ट हाउस के पास से बरामद किए जहां ललित झा रुका हुआ था.ललित झा ने अपने 5 सहयोगियों सागर शर्मा, मनोरंजन, अमोल शिंदे, नीलम सिंह और महेश कुमावत के फोन जला दिए थे.
जिसके बाद संसद की मामले में गुरुवार को 6 आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया है.
दिल्ली पुलिस ने सभी आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट की मांग की है। पटियाल हाउस कोर्ट में मामले की सुनवाई 2 जनवरी 2024 तक आगे बढ़ा दी है।
3. जोशीमठ में आई दरारें (2 जनवरी 2023)
2 जनवरी 2023 की रात 2.30 बजे जोशीमठ में रहने वाले लोगों को दीवारों के दरकने और कंक्रीट के टुकड़े गिरने का शोर सुनाई दिया।
जोशीमठ (Joshimath) में घर, मकान, दुकान और सड़कों पर दरारें लगातार बढ़ती गई. यहां कभी भी, कहीं भी, किसी भी जगह पर नई दरारें उभर रही थी, और ये दरारें छोटी नहीं हैं, ये दरारें डराने वाली हैं, इसकी वजह से हजारों लोग दर्द में हैं।
अब वहां के 700 से ज्यादा मकानों में खतरनाक दरारें आयीं। जिसकी वजह से लोग घरों से बाहर खुले आसमान में रहने को मजबूर हुए।
क्यों आईं दरारें
जानकारी के अनुसार गढ़वाल कलेक्टर एमसी मिश्रा की कमेटी ने 1974 में कहा था कि जोशीमठ शहर चट्टान नहीं बल्कि रेत और पत्थर के ऊपर बसा हुआ है।
निर्माण कार्यों में होने वाली कंस्ट्रक्शन और ब्लास्टिंग से पहाड़ धंस सकते हैं। जोशी मठ में जब दरारें आयीं तब NTPC के हाइड्रो प्रोजेक्ट और चारधाम ऑलवेदर रोड की वजह से कंस्ट्रक्शन जारी था।
ऐसें बचाया जा सकता है जोशीमठ
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के मुताबिक जोशीमठ जैसे शहर ग्लेशियर मटेरियल पर बसे हैं। बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को रोककर इन्हें बचाया जा सकता है।
4. उत्तरकाशी टनल में फसें 41 मजदूर (12 नवंबर 2023)
12 नवंबर 2023 की सुबह 5:30 बजे उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल का एक हिस्सा भरभराकर धंस गया। जिससे 60 मीटर तक मलबा फैल गया.
जिसकी वजह से अंदर काम कर रहे 41 मजदूर टनल में फस गए। जिसके बाद रेस्क्यू के लिए आई अमेरिकी ऑगर मशीन भी रेस्क्यू में नाकाम हो गई।
लगभग 17 दिन बाद 28 नवंबर को रैट माइनर्स ने 900 एमएम की पाइप के जरिए सभी मजदूरों सुरक्षित बचाया।
कहां हुई गलती
L&T कंपनी के पूर्व प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनोज गरनायक के मुताबिक संभव है कि विस्फोट से चट्टान की पकड़ कमजोर होने से टनल धंसी गई थी।
साथ ही धंसे हुए मलबे में हार्ड रॉक की बात कही गई थी लेकिन मलबे में केवल भुरभुरी मिटटी ही थी.
बरतनी चाहिए ये सावधानी
उत्तरकाशी टनल में एस्केप टनल यानि निकास सुरंग नहीं बनाई गई थी. अगर ये निकास सुरंग बनी होती तो मजदूरों को इसमें से निकाल लिया जाता।
ऐसे किसी प्रोजेक्ट से पहले कई बार सर्वे और जांच कराना जरूरी है।
5. इंदौर बावड़ी ने ली 33 लोगों की जान (30 मार्च 2023)
इंदौर के 60 साल पुराने बालेश्वर झूलेलाल मंदिर में 30 मार्च 2023 को पूजन के दौरान पूजा-पाठ कर रहे थे. तभी अचानक से सभी लोग 40 फीट गहरी बावड़ी में गिर गए।
बता दें बावड़ी में 10 फीट तक पानी भरा था। इसमें 40 लोग गिरे थे, जिनमें से 33 लोगों की रेस्क्यू से पहले ही मौत हो गई थी।
किस वजह से धंसी बावड़ी
रिपोर्ट में बताया गया था कि मंदिर का जब निर्माण हुआ तो बावड़ी को नहीं भरा गया था, बल्कि इसे केवल लोहे सरियों की जाली से पक्का कर दिया था,
जिसमें 100 से ज्यादा लोगों का वजन सह पाना असंभव था।
इंदौर नगर निगम ने अप्रेल 2022 में मंदिर को अवैध निर्माण के चलते नोटिस भी दिया था, जिसके जवाब में मंदिर समिति ने कहा था कि यहां कोई भी ‘अवैध’ निर्माण नहीं हुआ है।
क्या मिला सबक
पुरानी और जर्जर इमारतों और इस तरह की बावड़ियों का सर्वे करके इन्हें हटाना चाहिए। अन्यथा ऐसी घटनाएं आगे भी हो सकती हैं।