अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने देश पर बढ़ रहे कर्ज को लेकर चेतावनी दी। IMF ने कहा कि अगर सरकार इसी रफ्तार से कर्ज लेती रही, तो कर्ज दे पाना मुश्किल हो सकता है। बता दें कि देश पर कुल 205 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है। जो मार्च 2023 में 200 लाख करोड़ रुपए था।
इधर, सरकार ने की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF की चेतावनी पर असहमति जताई। सरकार ने कहा कि देश अधिकतर कर्ज भारतीय रुपए में है, इसके चलते कोई समस्या नहीं होगी।
सितंबर 2023 में 205 लाख करोड़ रुपए था कर्ज
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए था। इसमें देश की केंद्र सरकार पर 161 लाख करोड़ रुपए, जबकि राज्य सरकारों पर कुल 44 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज था। वहीं 2014 में भारत सरकार पर 55 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था।
अगर पिछले नौ साल का कुल कर्ज देखा जाए, जो केंद्र सरकार पर 192% कर्ज बढ़ा है। इसमें देश और विदेश दोनों तरह के कर्ज शामिल हैं। देश पर 2014-15 में 31 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज था, जो 2023 में बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
6 माह में 4% बढ़ा कर्ज
सांसद नागेश्वर राव ने मार्च 2023 में संसद में केंद्र सरकार के कर्ज को लेकर सवाल पूछा था, जिसका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिखित जवाब देते हुए बताया था कि 31 मार्च 2023 तक केंद्र सरकार पर 155 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है। जो सितंबर 2023 में बढ़कर 161 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसका मतलब ये है कि 6 महा में करीब 4% का कर्ज बढ़ा है।
साल-दर-साल कैसे बढ़ा कर्ज?
2004 में जब मनमोहन सिंह ने केंद्र में सत्ता संभाली थी, उस समय भारत सरकार पर 17 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। जो 2014 तक बढ़कर 55 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस सयम केंद्र सरकार पर 161 लाख करोड़ रूपय का कर्ज।
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