सरगुजा। जिले के उदयपुर में संचालित पीकेईबी कोल ब्लॉक में हजारों पेड़ों की बलि दी जाएगी। सुबह से ही भारी पुलिस इलाके में तैनात है। ताकि पेड़ो की कटाई में कोई बाधा न आए। पेड़ो की कटाई आज सुबह शरु हो गई है।
राजस्थान की कंपनी को मिला कॉन्ट्रैक्ट
बता दें कि इस क्षेत्र में कोल उत्पादन के लिए राजस्थान की विद्युत उत्पादन कंपनी को ठेका दिया गया है। वहीं परिवहन के लिए एमडीओ अदानी इंटरप्राइजेस को कॉन्ट्रैक्ट मिला है।
भूपेश सरकार ने लगाई थी रोक
पिछले एक अक्टूबर से ये खदान बंद थी क्योंकि भूपेश सरकार ने कोल उत्पादन पर रोक लगा थी। अब राज्य में नई सरकार के आते ही प्रोजक्ट को परिमिशन मिल गई। कोल उत्पादन के लिए जो क्षेत्र तय किया गया उसमें करीब 70 प्रतिशत इलाका तो फॉरेस्ट लैंड एरिया है। इसी क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की जानी है।
2 दिनों तक चलेगी कटाई
एक साल पहले ही यहां पर फोर्स लगाकर 43.6 हेक्टेयर भूमि से करीब 8 हजार पेड़ काटे गए थे। बताया गया है कि 91.2 हेक्टेयर भूमि पर पेड़ों की कटाई 2 दिनों तक चल सकती है।
बाहरी लोगों की आवाजाही बाधित
एक ही दिन में हजारों पेड़ काटने की तैयारी पूरी हो चुकी थी। सुबह ही इसके लिए मशीनों के साथ वन विभाग का अमला पहुंचा है। जिस इलाके में कटाई की जा रही है वहां पर बाहरी लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया
सुबह-सुबह पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे कुछ प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हसदेव के जंगल में पेड़ो को बचाने के लिए हरिहरपुर में आंदोलन भी किया था। अब इस स्थान पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने कटाई का विरोध करने वाले रामलाल करियाम निवासी साल्ही, जयनंदन सिंह पोर्ते को हिरासत में लिया है।
1 अक्टूबर से कोल माइंस बंद थी
पीकेईबी कोल ब्लॉक में खनन के लिए पेड़ों की कटाई के बाद 43.6 हेक्टेयर भूमि से कोल उत्पादन सितंबर 2023 में ही पूरा हो गया है। 1 अक्टूबर से कोल माइंस को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। कोल उत्पादन बंद होने से राजस्थान में विद्युत संकट की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका को देखते हुए तत्कालीन गहलोत सरकार ने भूपेश सरकार से अनुमति जारी करने के लिए पत्र लिखा था। भूपेश सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
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