सुनील सिंह बघेल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
दुनिया में दूसरी बड़ी आबादी वाले भारत (Bharat) में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक सुखद खबर है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS/ National Family Health Survey-5) की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि इससे पहले वर्ष 1970 में जहां राष्ट्रीय औसत 5 बच्चे प्रति महिला से ज्यादा थी, अब प्रतिस्थापन दर 2.1 के बराबर ही है। यानि 1970 में जहां एक महिला औसतन 5 बच्चों को जन्म देती थी। अब करीब 53 साल बाद ये घटकर 2.1 पर आ गई है। इसलिए माना जा रहा है कि एक बार भारत की जनसंख्या स्थिर हो सकती है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 यानि NFHS (National Family Health Survey-5) की रिपोर्ट के मुताबिक 28 में का सिर्फ 4 राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रजनन दर (Fertility rate) गिरकर, प्रतिस्थापन दर (Replacement Rate) 2.1 के बराबर या नीचे आ गई है।
रिपोर्ट में ये राज्य शामिल
राष्ट्रीय औसत 2.0 से ज्यादा प्रजनन दर वाले राज्यों उत्तर प्रदेश (UP), बिहार(Bihar) , झारखंड(Jharkhand) , मेघालय (Meghalay) के शहरी क्षेत्रों में भी यह, प्रतिस्थापन दर 2.1 के से नीचे पहुंच चुकी है। यदि प्रजनन दर में गिरावट का यही क्रम जारी रहा तो 2047-48 तक भारत की आबादी स्थिर हो जाएगी।
परिवार नियोजन अभियान का असर
केंद्र सरकार ने 2017 में 3.0 से ज्यादा प्रजनन दर वाले 146 जिलों मे परिवार नियोजन का विशेष अभियान शुरू किया था। उसका भी सकारात्मक असर दिखने लगा है।
ज्यादा साक्षरता वाले तमिलनाडु (Tamil Nadu) , केरल(Kerala), कर्नाटक (Karnataka), तेलंगाना (Telangana), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) , पश्चिम बंगाल(West Bengal) पंजाब (Panjab) और महाराष्ट्र (Maharashtra) , आंध्र प्रदेश (Andra Pradesh) जैसे राज्य तो तेजी से आबादी कम होने की दिशा में बढ़ रहे हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व अनुमान से 12 साल पहले हो रहा है।
क्या कहती है एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट
एनएफएचएस-5 (NFHS-5) की रिपोर्ट से यह भी साफ हुआ है कि जम्मू कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल, आसाम जैसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले राज्यों में भी प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत 2.0 से भी काफी कम है।
प्रजनन दर मे गिरावट यानि जनसंख्या वृद्धि दर में भी कमी
सरल शब्दों में कहें तो प्रजनन दर यानी एक महिला कितने बच्चे पैदा करती है। वर्ष 1970 में राष्ट्रीय औसत 5 बच्चे प्रति महिला से ज्यादा थी। जो वर्ष 1992-93 में 3.5 के आस-पास रही। अब शहरी क्षेत्रों में यह दर घटकर राष्ट्रीय औसत 2.0 से भी कम यानि सिर्फ 1.6 ही रह गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह प्रतिस्थापन दर 2.1 के बराबर ही है। जाहिर है प्रजनन दर (Fertility Rate) कम होने से, जनसंख्या वृद्धि दर (Population Rate) भी कम होती है।
क्या होती है प्रतिस्थापन दर (Replacement Rate)
सरल शब्दों में समझे तो यह एक ऐसी अवस्था है, जिसमें जितने लोग मरते हैं ,उनका खाली स्थान भरने के लिये उतने ही नए बच्चे पैदा हो जाते हैं। इस दर को हासिल करने पर किसी भी देश की आबादी स्थिर होने लगती है। ज्यादातर देशों में सर्वमान्य प्रतिस्थापन दर 2.1 है।
क्या है ज्यादा प्रजनन दर का कारण
रिपोर्ट से बताया गया है कि ज्यादा प्रजनन दर का सीधा संबंध सामाजिक, आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं और बालिका शिक्षा से है। बेशक बाल विवाह घटे हैं, लेकिन अभी भी शहरी क्षेत्रों में 14% तो ग्रामीण क्षेत्रों मे हर चौथी लड़की की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है। बिहार के जनसांख्यिकी विशेषज्ञ रिशु प्रकाश बताते हैं, कि बिहार में तो 10 में से 4 लड़कियां बाल विवाह (Bal Vivah) की कुरीति का शिकार होती हैं।
सिर्फ 4 राज्यों में प्रतिस्थापन दर से ज्यादा-
रिपोर्ट (NFHS5 Report) के अनुसार सिर्फ 4 राज्यों में टीएफआर(TFR) , प्रतिस्थापन दर (2.1) के बराबर या कुछ ज्यादा है। वह भी ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा प्रजनन दर के चलते इन राज्यों मे भी सिर्फ बिहार को छोड़कर सभी राज्यों के शहरी क्षेत्रों में यह पहले ही प्रतिस्थापन दर 2.1 से नीचे आ चुकी है।
राज्य प्रजनन दर
मेघालय 2.9
बिहार 3.0
उत्तर प्रदेश 2.4
झारखंड 2.3
Table -2
30 सालों में आधी रह गई प्रजनन दर
वर्ष प्रजनन दर
1992-93 3.5
1998-99 3.3
2005-06 2.7
2015-16 2.2
2019-20 2.0
10 साल की देरी से हासिल किया रिप्लेसमेंट रेट
पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (Population Foundation of India) /PFI के आलोक बाजपाई के अनुसार जनसंख्या के मोर्चे पर भारत ने 10 साल की देरी से ही सही, 2.1 का रिप्लेसमेंट लेवल (Replacement Lavel) हासिल कर ही लिया है। यह गिरावट सभी सोशल ग्रुप (Social Group) में हो रही है। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि ज्यादा प्रजनन दर वाले मुस्लिमों में भी गिरावट की दर, दूसरों के मुकाबले ज्यादा है।
यहां पढ़ें कुछ फैक्ट
– भारत में औसत प्रजनन दर 2.0 पर पहुंची, यह प्रतिस्थापन दर 2.1 से भी कम
– 30 साल पहले 3.5 शिशु प्रति महिला का औसत गिरकर शहरी क्षेत्रों में यह घटकर 1.9 पर पहुंचा
– ज्यादा प्रजनन दर के पीछे बाल विवाह भी, बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 10 में से 4 लड़कियां बाल विवाह का शिकार
सुनील सिंह बघेल बंसल न्यूज में एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं।
Source: NFHS5 Report