हैदराबाद। NCRB Report आइजोल मिजोरम में पिछले साल देश में हत्या के तीसरे सबसे कम मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इस पूर्वोत्तर राज्य में 2022 में हत्या के 31 मामले दर्ज किए गए। सिक्किम में नौ और नगालैंड में 21 मामले दर्ज किए गए।
मिजोरम में इतने मामले किए दर्ज
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार मिजोरम में हत्या के 14 ऐसे मामले दर्ज किए गए जिनके पीछे का मकसद नहीं पता चला है और छह हत्याएं विवाद के कारण की गईं। राज्य में 2020 में हत्या के 28 और 2021 में 24 मामले दर्ज किए गए थे। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 2022 में हत्या की कुल 28,522 प्राथमिकियां दर्ज की गयी। उत्तर प्रदेश में हत्या की सबसे अधिक 3,491 प्राथमिकियां दर्ज की गयीं। इसके बाद बिहार में 2,930 और महाराष्ट्र में 2,295 प्राथमिकियां दर्ज की गयीं।
जाने क्या कहती है रिपोर्ट
तेलंगाना में 2022 में देशभर में सर्वाधिक 15,297 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, राज्य में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है, 2020 में 5,024 मामले और 2021 में 10,303 मामले सामने आए थे।
आंकड़ों से पता चला है कि 28 राज्यों में से, तेलंगाना में सबसे अधिक साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, इसके बाद 2022 में कर्नाटक में 12,556 और उत्तर प्रदेश में 10,117 मामले दर्ज किए गए।
जानिए क्या कहती है रिपोर्ट
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत आपराधिक मामले दर्ज करने में महाराष्ट्र (उत्तर प्रदेश के बाद) दूसरे स्थान पर रहा। आंकड़ों से यह भी पता चला कि महाराष्ट्र 2022 में 2,295 हत्याओं के साथ उत्तर प्रदेश तथा बिहार के बाद हत्या के मामलों में तीसरे स्थान पर और राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बाद बलात्कार के मामलों में चौथे स्थान पर रहा। महाराष्ट्र में बलात्कार के 2,904 मामले दर्ज किए गए।
महाराष्ट्र में हुए इतने दंगे दर्ज
रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में 2022 में (आईपीसी की धाराओं के तहत) कुल 3,74,038 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में 3,67,218 और 2020 में 3,94,017 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले साल महाराष्ट्र में दंगों के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे राज्य इस श्रेणी में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मामले आईपीसी की धारा 147 से 151 (दंगा और गैरकानूनी सभा से संबंधित) के तहत दर्ज किए गए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र में दंगों के कुल 8,218 मामले दर्ज किए गए।
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