जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी 54 सीटें जीत कर बहुतम में आ गई है। वहीं सत्ता धारी कांग्रेस महत 35 सीटों पर सिमट कर रह गई है।
प्रदेश के कई क्षेत्रों में बागियों के अलावा नोटा ने भी पार्टियों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। बस्तर की 12 सीटों पर नोटा (NOTA ) का खासा असर देखने को मिला।
यहां 6 सीटों पर नोटा तीसरे, तो 5 सीटों पर चौथे स्थान पर रहा। कई विधानसभाओं में जीत के अंतर से अधिक वोट नोटा को मिले हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि नोटा ने पासा पलटने में अहम भूमिका निभाई।
2018 में नोटा की स्थिति
2018 के चुनाव की अगर बात करें तो बस्तर की 12 में से 8 सीटों पर नोटा तीसरे से 5वें नंबर पर रहा था। इस बार के परिणाम भी कुछ इसी तरह के नजर आए।
ऐसे में यह सवाल लाजमी हो जाता है कि बस्तर में नोटा(NOTA ) को पड़ रहे वोट मतदाताओं के मन का आक्रोश है या उनकी अज्ञानता।
‘नोटा’ लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी
बस्तर की 12 सीटों की बात की जाए तो 6 से अधिक सीटें ऐसी हैं, जिनमें विजेता और दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशियों की जीत का अंतर नोटा को कुल मिले वोटों से कम रहा।
इसका साफ मतलब यह है कि यदि यह वोट दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशियों को मिल जाते तो तस्वीर कुछ और हो सकती थी। बहरहाल जानकार इसे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं।
बस्तर में नोटा(NOTA ) के आंकड़े
बस्तर संभाग की बीजापुर सीट पर नोटा 3628 वाटों के साथ तीसरे नंबर पर रहा। वहीं चित्रकोट में 7310 वोट पर भी नोटा तीसरे नंबर पर रहा।
जगदलपुर में नोटो को 2836 वोट मिले, जबकि बस्तर में 2738 वोटर पाकर तीसरे और दंतेवाड़ा व कोंटा विधानसभा में चौथे नंबर पर रहा।
कोंडागांव में नोटा 3214 मतों के साथ तीसरे, केशकाल में 4335 मतों के साथ तीसरे और दंतेवाड़ा में सबसे ज्यादा 8438 वोट पर चौथे स्थान पर रहा।
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