Bhai Dooj Bihar: पांच पर्वों की शृंखला दीपावली का आखिरी दिन भाई दूज के नाम से जाना जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। कहते हैं कि भगवान सूर्य की पुत्री यमुना ने इस दिन अपने बड़े भाई यमराज को भोजन कराया था। इससे यमराज ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था। जो भी बहनें आज के दिन अपने भाईयों को भोजन कराएंगी, उन्हें सूर्य देव और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होगी। ये तो हुई देशभर में यम द्वितीया मनाने के प्रचलन की बात, लेकिन बिहार की परंपरा में ये रिवाज अपना अलग ही स्थान रखता है।
बिहार में भाई दूज
बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। दरअसल इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं। दरअसल यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
इसके अलावा बिहार के जो हिस्से यहां पं.बंगाल से सटे हुए हैं, उनमें इस उत्सव के दौरान वहां की छटा नजर आती है।
भाई तिहार की है परंपरा
इसी तरह नेपाल और इससे सटे बिहार के इलाकों में भाई दूज का पर्व भाई तिहार के नाम से जाना जाता है। तिहार का मतलब तिलक या टीका होता है। इसका एक अर्थ त्योहार से भी है। इसके अलावा भाई दूज को भाई टीका के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर सात रंग से बना तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु व सुख, समृद्धि की कामना करती हैं।
भाई दूज पर्व भाई और बहन के पवित्र रिश्ते और प्यार का प्रतीक है। सात रंगों का अर्थ है, भाई के जीवन में हर प्रकार की खुशियां रहें और सूर्य के सातों रंग उसकी जिंदगी में बिखरे रहें।
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