देवास। जिले के कुसमानिया में स्थित खिवनी अभयारण्य में कुछ बदलाव होने वाले हैं। इन बदलावों से पर्यटकों की सुविधाओं में इलाफा होगा। इस अभयारण्य में ठंड के सीजन में बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। जब बारिश थमी है तभी से लगातार ही अभयारण्य में पर्यटक आ रहे हैं।
इसी साल में अभयारण्य को जोड़ने वाली सड़के भी बनाई गई हैं। इससे पर्यटकों को जंगलों को अंदर तक घूमने का मौका मिलेगा।
133 वर्ग किलोमीटर में फैला है अभयारण्य
बता दें कि देवास और सीहोर जिले की सीमा से करीब 125 किलोमीटर दूर है खिवनी अभयारण्य यह 133 वर्ग किलोमीटर तक फैला है। इस अभयारण्य में मुख्य रुप से बाघों का विचरण होता है।
बीते साल ही इस अभयारण्य में बाघों के कुनबे में नए सदस्यों का भू आगमन हुआ है।
पर्यटकों के लिए की गईं ये व्यवस्थाएं
अभयारण्य अधीक्षक कहा कि यहां पर घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए इस बार वन विभाग ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। यहां पर्यटकों के रूकने और जंगल सफारी करने के लिए भी व्यवस्थाएं वन विभाग ने मुहैया करवाई हैं।
अभयारण्य में काटेज भी हैं, जिनमें रहकर वन्यजीव और वन प्रेमी काफी करीब से वन्य जीवन को अनुभव कर सकते हैं। वन विभाग क्षेत्र के कई स्थानों पर ट्रैप कैमरे लगाकर वन्य जीवों की निगरानी करता है, जिसके चलते उनके मूवमेंट और परिस्थितियों की जानकारी मिलती रहती है।
इस अभ्यारण्य में इस साल स्थानीय लोगों के हस्तशिल्पों की प्रदर्शनी लगाई गई है साथ ही यहां पर स्थानीय कलाकारों की बनाई वस्तुएं भी बेंची जा रही हैं।
इन इलाकों में भी देखे गए बाघ
अभयारण्य अधीक्षक विकास माहोरे ने बताया कि स्थानीय लोगों को जंगल और वन्य जीवों से जोड़ने के लिए उनको यहां रोजगार दिया जा रहा है। देवास जिले में खिवनी के अलावा पानीगांव, कन्नौद, जिनवानी तक के जंगल में बाघ देखे गए हैं। कांटाफोड़, पुंजापुरा से लेकर चोरल तक बाघ होने की बात कई लोगों ने की है।
अभयारण्य में मौजूद हैं ये जानवार
खिवनी अभयारण्य अधीक्षक विकास माहोरे ने बताया कि यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के वन्य जीवों की बहुतायत है।
यहां बाघ, तेंदुआ, लकड़बग्घा, भालू, लोमड़ी, सियार, चीतल, सांभर, चिंकारा, काला हिरण, हनी बैजर, जंगल कैट, सीवेट (कबर बिज्जू), सेही, पेंगोलीन, जंगली सुअर, इंडियन कोबरा, रसेल वायपर, कामन करेत, धामन, अजगर सहित सांप की अलग-अलग प्रजातियां भी पाई जाती हैं। इसके अलावा पक्षियों की कई प्रजातियां भी खिवनी अभयारण्य में हैं।
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