इंदौर से अविनाश रावत की रिपोर्ट। जिलें में वार्डों का बंटवारा कर तीन नए जोन बनाने की कवायत आज से पांच साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन अब तक न तो वार्डों का बंटवारा किया गया और न जोन बनाए गए हैं।
नगर निगम ने 19 जोन की बजाए 22 जोन बनाने का प्रस्ताव परिषद की बैठक में पास किया था। जिसमें जोनल कार्यालयों के नए सिस्टम को आबादी हिसाब से लागू किया जाना था।
2013 में हुआ था परिसीमन
प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद निगम को तीन नए जोन के लिए कार्यालय, स्टॉफ और संसाधन उपलब्ध कराने थे, लेकिन यह योजना अब तक धरातल पर ही नहीं उतर पाई है।
नगर निगम ने 2013 में परिसीमन कर 85 वार्ड बनाए। तब जोन कार्यालयों की संख्या 15 से बढ़ाकर 19 कर दी गई। जबकि यह संख्या उस समय की जनसंख्या के अनुसार 22 होनी चाहिए थी।
2016 में हाईकोर्ट पहुंचा मामला
इसे लेकर पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने 2016 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। कौशल ने याचिका में हवाला दिया था कि 2011 में नगर निगम की जनसंख्या करीब 22 लाख थी। प्रति एक लाख आबादी के हिसाब से तब शहर में 22 जोन बनने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हाई कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई करने के बाद जोन कार्यालयों की संख्या 19 से बढ़ाकर 22 करने का आदेश देते हुए कहा कि जनसंख्या के हिसाब से ही इसे लागू किया जाए।
लेकिन निगम के अधिकारियों पर हाई कोर्ट के आदेश का कोई असर नहीं हुआ। जिसे लेकर अवमानना याचिका भी दायर हो गई।
2017 में पास हुआ प्रस्ताव
इसके बाद निगम ने 14 नवंबर 2017 को हुई एमआईसी की बैठक में जोन कार्यालयों की संख्या बढाकर 22 करने का प्रस्ताव पास कर दिया, लेकिन यह स्वीकृत प्रस्ताव कागजों तक ही सिमटकर रह गया।
इंदौर में 3 नए जोन तो बनाए गए,लेकिन न तो कार्यालय की जमीन तय की गई और न ही स्टाफ नियुक्त किया गया।
जोन अध्यक्ष और समितियां भी नहीं बनाई गई। तब से लेकर अब तक महापौर परिषद की ज्यादातर बैठकों में यह मुद्दा उठा गया, लेकिन हर बार इसे दरकिनार कर दिया गया।
किस जोन में कौनसा वार्ड?
बंसल न्यूज की पड़ताल के मुताबिक 14 नवंबर 2017 को निगम की महापौर परिषद में पास किए गए प्रस्ताव में जो तीन नए जोन बनाए जाना थे, उनमें कुल 9 वार्ड शामिल होने थे।
जोन क्रमांक 20 में वार्ड नंबर 5,6,8, जोन क्रमांक 21 में वार्ड नंबर 72,80,81 और जोन क्रमांक 22 में वार्ड नंबर 75, 77, 78 को शामिल किया जाना थे।
कितनी आबादी पर बनता है जोन?
वर्तमान जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो अब जोन कार्यालयों की संख्या कम से कम 27 होना चाहिए। मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 48 में प्रावधान है कि एक लाख आबादी पर एक जोन कार्यालय होना अनिवार्य है।
पिछली जनगणना कु अनुसार इंदौर की आबादी 21 लाख 60 हजार थी, लेकिन अब यह जनसंख्या 27 लाख से ज्यादा हो चुकी है।
इसके अनुसार 5 जोन कार्यालय बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन नगर निगम अब तक पुरानी आबादी के अनुसार ही जोन की संख्या नहीं बढा पाया है, ऐसे में वर्तमान आबादी बात कोई कर ही नहीं रहा।
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