रांची। झारखंड सरकार राज्य में रह रहे सभी जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए जल्द ही एक जनजातीय विकास डिजिटल एटलस विकसित करेगी और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समुदायों (पीवीटीजी) को सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में शामिल करने के लिए कदम उठाएगी
पीवीटीजी वाले सभी इलाकों का होगा सर्वेक्षण
एक अधिकारिक बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गई। पहले चरण में, पीवीटीजी वाले सभी इलाकों का सर्वेक्षण किया जाएगा। बयान में कहा गया है, ‘‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक जनजातीय विकास डिजिटल एटलस तैयार करने के ईमानदार प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि राज्य में रह रहे सभी जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सके।’’
विकास की लकीर खींचने का प्रयास
इसमें कहा गया है, ‘‘जनजातीय कल्याण विभाग, जनजातीय विकास डिजिटल एटलस तैयार करेगा, जिसके तहत पहले चरण में सभी पीवीटीजी इलाकों की पहचान और समीक्षा की जाएगी तथा एक डिजिटल ‘जियो लिंक्ड डेटाबेस’ तैयार किया जाएगा। इसके आधार पर प्रमुख सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और आजीविका केंद्रित पहलों के कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक कार्य योजना को मिशन मोड पर लागू किया जाएगा।’’
इस संबंध में जनजाति कल्याण विभाग जनजातीय कल्याण आयुक्त के माध्यम से तैयारी कर रहा है।
सुविधा देने पर विशेष ध्यान
राज्य सरकार पीवीटीजी के सामाजिक बुनियादी ढांचे, आजीविका और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए कार्य योजना लागू करेगी, ताकि इन जनजातीय समूहों के लोगों को रहने के लिए पक्के मकान, स्वच्छ परिवेश, पाइपलाइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल, बिजली/सौर विद्युतीकरण, पेंशन, आयुष्मान कार्ड, पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) और ई-श्रम के लाभ, स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच, आंगनवाड़ी, शिक्षा, सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता और अन्य सुविधाएं मिल सकें।
पीवीटीजी को सामाजिक-बुनियादी ढांचे में एकीकृत किया जाएगा और उनकी आजीविका संबंधी पारंपरिक गतिविधियों को मजबूत करने के लिए लगातार काम किया जाएगा।
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