Aaj Ka Mudda: यशोधऱा राजे सिंधिया के चुनाव लड़ने से इनकार करते ही एमपी में गुजरात फॉर्मूले की दस्तक सुनाई देने लगी है। मतलब साफ है कि दूसरी लिस्ट में प्रयोग करके चौंका चुकी बीजेपी अगली लिस्ट में और बड़े धमाके कर सकती है।
गुजरात फॉर्मूला क्या मध्यप्रदेश में भी लागू?
यशोधरा राजे का चुनाव लड़ने से इनकार, क्या बनेगा प्रदेश में गुजरात मॉडल की एंट्री का आधार? जी हां जब से खेल मंत्री यशोधरा राजे के चुनाव न लड़ने की बात सामने आई है, राजनीति के पंडित इस बात के कयास लगा रहे हैं कि बीजेपी का गुजरात फॉर्मूला क्या मध्यप्रदेश में भी आंशिक रूप से लागू हो सकता है।
अगर ऐसा हुआ तो कई मंत्रियों और विधायकों के टिकट पार्टी काट सकती है। गुजरात में बीजेपी ने बदलाव करके एंटी इनकंबेंसी को अपने पक्ष में बदल लिया था, वहां 99 में 40 फीसदी विधायकों के टिकट कटे थे। एमपी में बीजेपी के 127 विधायक हैं, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि 45 से 50 विधायकों के टिकट पार्टी काट सकती है।
बुजुर्ग नेताओं की नाराजगी सामने आ सकती है
गुजरात में उम्र दराज नेताओं को भी टिकट नहीं दिया गया था, लेकिन इसका हल पार्टी ने उनके परिवार और करीबियों को टिकट देकर निकाला था। ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश में भी देखने को मिल सकता है। गुजरात की तरह मध्यप्रदेश में बीजेपी जातिगत समीकरण फिट करने के लिए ओबीसी-आदिवासी समीकरण पर फोकस कर सकती है।
मध्यप्रदेश में बीजेपी अगर गुजरात की राह पर आगे बढ़ी तो बुजुर्ग नेताओं की नाराजगी सामने आ सकती है। लेकिन इस ब्रम्हास्त्र से बीजेपी एंटी इनकंबेंसी से पार पाकर सत्ता हासिल करने में कामयाब हो सकती है। अगर सत्ता का शिखऱ हासिल करना है तो कुछ कुर्बानियां तो देनी होंगी, क्योंकि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।
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