Pitru Paksha 2023: गणेश उत्सव की समाप्ति के बाद 29 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं। अब पूरे 16 दिन पितरों को याद किया जाएगा। ऐसे में यदि आपको पितृ पक्ष से जुड़ी बातें नहीं पता है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही जानेंगे इसमें तर्पण करने की विधि, तिथियां और श्राद्ध पक्ष से जुड़ी जरूरी बातें।
भगवान विष्णु का स्वरूप हैं कुशा और तिल
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार यदि कुशा को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जात है। इसी तरह काले तिल में भी विष्णु जी का वास होता है। इसलिए इस दिन कुशा से तर्पण करने पर भगवान विष्णु की उपासना कर पितरों को मोक्ष का मार्ग दिलाया जा सकता है। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो पितर देव आप पर प्रसन्न होकर जल्दी कृपा बरसाते हैं।
इस दिन क्या करें क्या नहीं
पंडित सनत कुमार खम्परिया कहते हैं कि पितृ पक्ष में खरीदारी न करने की धारणा लोगों द्वारा स्वयं बनाई गई है। आज तक किसी शास्त्र में ऐसा वर्णित नहीं है कि इस समय कोई शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए। केवल विवाह संबंधी कार्यों को छोड़कर अन्य सभी तरह के शुभ कार्य इस समय किए जा सकते हैं।
पितरों को जल देते समय क्या बोलना चाहिए
जल देते समय ध्यान करें और वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों। इसके बाद जल जल दें। साथ ही अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें। गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें।
पितरों को अंगूठे से ही क्यों देते हैं
श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है। इसमें आपने देखा होगा कि अंगूठे में कुशा लगाकर जलांजलि दी जाती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के अंगूठे के हिस्से वाले भाग से ही तर्पण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। क्योंकि इस हिस्से को पितृ तीर्थ कहते हैं।
पितृ पक्ष का मुहूर्त (Muhurt of Pitru Paksha 2023)
पितृ पक्ष श्राद्ध, पर्व श्राद्ध (पार्वण श्राद्ध) होते हैं और इन्हें करने का शुभ समय कुतुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त होता है। इन दोनों शुभ मुहूर्त के बाद अपराह्न काल समाप्त होने तक भी मुहूर्त चलता है। श्राद्ध के अंत में तर्पण (तर्पण) किया जाता है जिसमें सूर्य की तरफ मुंह करके घास की कुश (डाव) से देते हैं। प्रतिपदा श्राद्ध शुक्रवार 29 सितंबर 2023 से शुरू हैं.
भूल कर भी न करें ये शुभ काम
ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी न करें। इसके अलावा पितृ पक्ष में नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा श्राद्ध का कार्य दिन में करना चाहिए।
पितृ पक्ष 2023 की तिथियां (Pitru Paksha 2023 Tithi)
पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर
प्रतिपदा – 30 सितंबर
द्वितीया , तृतीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर
चतुर्थी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
पंचमी श्राद्ध – 3 अक्टूबर
षष्ठी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
सप्तमी श्राद्ध – 5 अक्टूबर
अष्टमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर
नवमी श्राद्ध – 7 अक्टूबर
खाली श्राद्ध – 8 अक्टूबर
दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर
एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध – 11 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध – 13 अक्टूबर
पितृ पक्ष समाप्त – 14 अक्टूबर
नोट : इस लेख में दी गई सभी सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें।
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