पटना। पटना उच्च न्यायालय ने 1980 से 1998 के बीच करीब 300 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में हुई अनियमितताओं की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को पूरी करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने बिहार सरकार से 2004 में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई में देरी के कारणों की तहकीकात करने को भी कहा है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने मंगलवार को सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि 2004 की रिपोर्ट 1980-1998 की अवधि के दौरान बिहार में लोअर सबऑर्डिनेट एजुकेशन सर्विस (एलएसएस) के सहायक शिक्षकों की नियुक्तियों और पदोन्नति के मामले में बड़े पैमाने पर अनियमितता की ओर संकेत करती है।
अदालत ने कहा कि सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को दबाकर राज्य की ओर से की गई देरी ने राज्य के हित को बहुत नुकसान पहुंचाया है और इस निष्क्रियता के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उनकी पहचान की जानी चाहिए और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई पर विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने सीबीआई और राज्य सरकार को एक महीने के भीतर उचित कार्रवाई करने पर विचार करने का निर्देश दिया।
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