अंबिकापुर। देशभर में गणेश चुर्तथी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी तरह छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में भी इस पर्व को उत्साह को मनाया जा रहा है। यहां स्थित महामाया पहाड़ी के ऊपर एक स्थान है हाथी पखना नामक जिसे गणपति धाम के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी की अवसर पर यहां पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई है।
महाआरती का हुआ आयोजन
यहां पर भगवान गणेश की महाआरती का आयोजन भी किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस पहाड़ी पर बाल गंगाधर तिलक गणपति स्थापना समिति से जुड़े लोग द्वारा यह आयोजन किया गया है।
पहले था हाथियों का आना-जाना
दरअसल, आजादी के पहले सरगुजा रियासत काल के समय यहां हाथियों का आना-जाना हुआ करता था। महावत भी यहां अपने हाथियों को बांधते थे। इसलिए इस यह स्थान को हाथी पकाना के नाम से जाना जाता है।
हाथी पखना की मिट्टी जाती है अन्य पंडालों में
मान्यता यह है कि अंबिकापुर शहर के तमाम जगहों पर स्थापित किए जाने वाले गणेश पंडालों में महामाया पहाड़ पर स्थित हाथी पखना की मिट्टी ले जाने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है। यहां के लोग चाहते थें कि भगवान गणेश की एक विशाल मंदिर यहां बने।
151 मठ मंदिरों के पुरोहितों ने दिलाया था संकल्प
इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए शहर के गणमान्य नागरिकों ने इसका जिम्मा उठाया और मंदिर स्थापना के कुछ महीने पूर्व 151 मठ मंदिरों के पुरोहितों के द्वारा बाल गंगाधर तिलक गणपति स्थापना समिति के सदस्यों को संकल्प दिलाया गया था।
इसी सिलसिले में गणेश चतुर्थी के अवसर पर अंबिकापुर के मां महामाया मंदिर जिसे अंबिकापुर का मुकुट भी माना जाता है यहां देवों में प्रथम भगवान गणेश विघ्नहर्ता का मंदिर स्थापित हो इसे लेकर यहां भव्य महा आरती का आयोजन किया गया। इस आयोजन में अंबिकापुर शहर के बड़ी संख्या में लोग श्रद्धालु शामिल हुए।
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