Education Policy : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 29 जुलाई 2020 को हमारे देश में लागू हुई थी। नई शिक्षा नीति का एक प्रमुख उद्देश्य 2030 तक प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक 100 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात हासिल करना है। नई शिक्षा नीति में एकीकृत प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर प्री-स्कूल से लेकर 12वीं कक्षा तक के सभी बच्चों को समग्र शिक्षा प्रदान करना। स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस स्कूल लाने और उन्हें स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए स्कूलों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ-साथ हर स्तर पर पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने से पहले स्कूलों में 10 प्लस 2 पैटर्न था। अब नई शिक्षा नीति में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 का पैटर्न लागू किया जा रहा है। इसके तहत 12वीं तक की स्कूली शिक्षा में प्री-स्कूल शिक्षा को भी शामिल किया गया है। इ
सका मतलब है कि स्कूली शिक्षा 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष की आयु के बीच विभाजित है। इसमें प्राइमरी से लेकर दूसरी कक्षा तक का हिस्सा है. दूसरा भाग तीसरे से पाँचवाँ तक। छठे से आठवें तक तीसरा भाग और नौवें से 12वें तक अंतिम भाग होता है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार चरण में 3 से 8 वर्ष के बच्चे शामिल हैं। इस चरण में 3 साल की प्राथमिक स्कूल शिक्षा और 2 साल की प्री-स्कूल शिक्षा शामिल है जिसमें कक्षा 1 और 2 शामिल हैं। फाउंडेशन चरण में, छात्रों को भाषा कौशल विकसित करने और सीखने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
8 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे के लिए शिक्षा नीति के मायने
प्रारंभिक चरण में 8 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल हैं। इस चरण में कक्षा 3 से कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों को भाषा एवं संख्यात्मक कौशल तथा क्षेत्रीय भाषाओं का अध्ययन कराया जाएगा।
मिडिल स्टेज के अंतर्गत कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के बच्चे शामिल होंगे। मिडिल स्टेज के तहत कक्षा 6 के बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी और उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग और इंटर्नशिप भी दी जाएगी.
कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के लिए शिक्षा नीति में क्या है खास
माध्यमिक चरण के अंतर्गत कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के बच्चे होते हैं। माध्यमिक चरण के अंतर्गत जैसे पहले बच्चे विज्ञान, वाणिज्य और कला लेते थे, यह सुविधा समाप्त कर दी गई है, माध्यमिक चरण के अंतर्गत बच्चे अपनी पसंद का विषय ले सकते हैं।
नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा छह से व्यावसायिक प्रशिक्षण और इंटर्नशिप भी शुरू की गई है। कक्षा पांच तक शिक्षा मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में दी जाएगी।
यानी पांचवीं कक्षा तक छात्र अपनी भाषा में पढ़ाई कर सकते हैं.
छात्रों को विशेष विषय चुनने की आजादी
पहले केवल साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम ही थीं जिसके तहत छात्रों को कुछ खास विषय पढ़ने होते थे, लेकिन अब छात्रों को अपनी पसंद के विषय चुनने की आजादी दे दी गई है।
इसका मतलब यह है कि अगर कोई छात्र फिजिक्स चुनता है तो वह इसके साथ अकाउंट्स या आर्ट्स विषय भी ले सकता है।
इसके अलावा कक्षा छह से छात्रों को कंप्यूटर और एप्लीकेशन के बारे में जानकारी दी जाएगी और उन्हें कोडिंग भी सिखाई जा रही है.
नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के तहत सभी स्कूलों को डिजिटल बनाने की दिशा में भी पहल की जा रही है। सभी प्रकार की सामग्री का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद भी किया जा रहा है।
इसके अलावा नई शिक्षा नीति में छात्रों को वर्चुअल लैब की सुविधा भी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
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