Mesh Rashi Ratna: मेष राशि के स्वामी ‘मंगल’ हैं, जो ‘ग्रहों के सेनापति’ हैं। भारतीय ज्योतिष और हिन्दू पंचांग में नववर्ष का आरंभ तभी होता है, जब ग्रहों के राजा सूर्य राशिचक्र की अंतिम राशि मीन से गोचर कर मंगल के स्वामित्व वाली राशिचक्र की पहली राशि मेष में प्रविष्ट होते हैं।
मेष राशि का प्रतीक और व्यक्तित्व
मेष राशि का प्रतीक मेढ़ा यानी ‘भेड़’ है, जो शक्ति, नेतृत्व, संयम, धैर्य और गंभीरता का परिचायक है। इस राशि में जन्म लेने वाले लोग जीवन शक्ति से भरपूर, उच्च विचारशील, धुन के पक्के और फर्श से अर्श की ओर बढ़ने वाले होते हैं।
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव जी, भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अम्बेडकर, वर्तमान में भारत के सबसे धनी व्यवसायी मुकेश अंबानी मेष राशि के जातक हैं, जिनका लोहा पूरी दुनिया मानती है।
मेष राशि के रत्न का रंग – Stone Color of Mesh Rashi
मेष राशि के स्वामी मंगल ग्रह का रंग लाल है। इसलिए इस राशि के वैसे जातकों को, जिनकी कुंडली में मंगल सबसे प्रमुख ग्रह है, लाल रंग के रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है।
इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि लाल रंग के रत्न पर ब्रह्मांडीय किरणें और प्रकाश पड़ती है, तो वह लाल रंग को अवशोषित कर मंगल सहित ब्रह्माण्ड के दिव्य पिंडों के ऊर्जा को सग्रहित कर लेता है। यह ऊर्जा जातक (व्यक्ति) की जीवन नैसर्गिक दिशा और दशा को प्रभावित करती है।
गौरतलब है कि जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों की प्रमुखता और प्रभाव अधिक होने पर अन्य रत्नों को धारण किया जाता है
मेष राशि का रत्न ‘मूंगा’ – Mesh Rashi Ratna Moonga
मेष राशि का सर्वप्रधान और प्रमुख रत्न है, मूंगा (Moonga)। मूंगा को अंग्रेजी में रूबी (Ruby) और रेड कोरल (Red Coral) भी कहते हैं। ज्योतिषीय ग्रंथों में लाल रंग के इस रत्न को बहुत प्रभावशाली और नायाब रत्न बताया गया है।
गुणधर्म और ऊर्जा-प्रवाह के कारण रूबी यानी मूंगा को रत्नों का सेनापति (Commander of Gem Stones) माना गया है। यह रत्न मेष राशि और मंगल ग्रह की तीव्र और उग्र ऊर्जा से मेल खाता है।
मूंगा रत्न का गुणधर्म – Moonga Ratna ka Gunadharma
मूंगा धारण करने से जातक (व्यक्ति) में कार्यसिद्धि के प्रति जुनून, लगन, वीरत्व, दृढ इच्छाशक्ति और महत्वाकांक्षा मजबूत होती है।
मेष राशि के वैसे जातक (व्यक्ति) जो जीवन में कुछ बड़ा करने का स्वप्न देखते हैं, उनको अपनी अपने सपनों का पीछा करने के लिए और आंतरिक ऊर्जा और गुणों को निखारने के लिए मूंगा (रूबी) धारण करना चाहिए।
मूंगा रत्न क्या है – What is Ruby (Moonga) Stone?
मूंगा समुद्र की गहराई में पाया जाने वाला एक जीव है। इसे हिंदी में प्रवाल भी कहते हैं। अंग्रेजी में इसे कोरल (Coral) कहा जाता हैं। सदियों से समुद्र तलहटी में ये जीव स्तरित (जमा होकर) होकर दृढ प्रवाल संरचना बनाते हैं।
इन्हीं स्तरित प्रवालों को समुद्र से निकालने और तराशने के बाद मूंगा रत्न तैयार होता है। यह रत्न लाल रंग के अलाव अन्य कई रंगों का भी होता है।
मूंगा धारण करने के लाभ – Moonga Stone Benefits
केवल भारतीय ज्योतिष शास्त्र के ग्रंथों में ही नहीं बल्कि अन्य देशों और संस्कृतियों में मूंगा रत्न धारण करने के अनेक विस्मयकारी लाभ बताए गए हैं।
इसे धारण करने पर एक नैचुरल फायदा स्वास्थ को लेकर होता है। यह जातक (व्यक्ति) को बीमार नहीं होने देता है। आइए जानते हैं, मूंगा धारण करने के लाभ क्या-क्या हैं।
मूंगा देता है शारीरिक क्षमता और पौरुष शक्ति
इसे धारण करने पर सिर से संबंधित बीमारियों में राहत मिलती है। यह शारीरिक क्षमता और पौरुष शक्ति बढ़ाता है। हड्डियों में भी मजबूती देता है। स्त्रियों के मासिक धर्म को नियंत्रित रखता है।
मूंगा पहनने से होती है कार्यसिद्धि – Moonga Pahanne se Karyasiddhi
जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह से जुड़े दोष हैं, उनकों मूंगा रत्न धारण करने पर कुंडली में मंगल ग्रह दोष दूर होता है। सोचा हुआ काम पूरा होता है और कार्यसिद्धि दिलाता है। इसे धारण करने पर सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह नेतृत्व क्षमता को बढ़ाता है।
मूंगा धारण करने अटके काम हो जाते हैं पूरे – Atke Kaam Hote Hain Poore
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, सही रंग और रत्ती के मूंगा रत्न धारण के करने पर जातक (व्यक्ति) के बिगड़े काम बनने लगते हैं। जो काम अटके होते हैं, वे भी पूरे हो जाते हैं। धन का प्रवाह बढ़ जाता है। समृद्धि में वृद्धि होती है।
मूंगा धारण करने का नियम – Moonga Dharan Karne ka Niyam
भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में मूंगा को सोना और तांबा धातु में पहनने की सलाह दी गई है। इसे अंगूठी बना कर पहनना अधिक लाभकारी है। लेकिन इस रत्न को नेकलेस या चेन, बाजूबंद आदि में जड़कर भी पहना जाता है।
इस रत्न को धारण करने के लिए मंगलवार शुभ दिन है। इस रत्न दो समय में धारण कारण विशेष लाभकारी है, सूर्य की प्रथम किरण से पूर्व और संध्या काल में मंगल ग्रह के दृष्टिगोचर होने पर।
कार्यसिद्धि के लिए मूंगा की रत्ती (वजन) – Karyasiddhi ke liye Moonga ki Ratti (Vajan)
जहां तक रत्ती (वजन) की बात है, तो मूंगा को कम से कम 5 रत्ती का होना चाहिए, जो 9 रत्ती तक का हो सकता है।
इससे अधिक रत्ती मूंगा केवल और केवल विशेष परिस्थितियों में विशेष कार्यसिद्धि के लिए धारण किया जाता है।
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