आपने अक्सर मनुष्य के मृत्यु के बाद बरसी मनाते सुने एवं देखें होंगे। परन्तु जशपुर जिले के शेखरपुर में हाथी के मृत्यु के बाद उसकी याद में बरसी मनायी जाती है।
एक ऐसा गांव जहां ग्रामीण हाथी के मौत के बाद उन्हें गणेश भगवान विघ्न हर्ता के रूप में मान कर उनकी बरसी मनाते हैं।
14 वर्षों से मना रहे हैं बरसी
जशपुर जिले की शेखरपुर गांव में लोग लगातार 14 वर्षों से हाथियों की मौत की बरसी मनाते आ रहे हैं। जशपुर जिले के पत्थलगांव के शेखरपुर गांव में चौदह साल पहले 9 सितंबर 2009 को बिजली की तार से चपेट में आकर दो जंगली हाथियों की मौत हो गई थी।
तब से लेकर आज तक लगातार 14 वर्ष हो गए हैं यहां के लोग प्रत्येक वर्ष इसी तारीख को हाथी की मौत को नम आंखों से याद कर बरसी मनाते हुए हाथी के समाधि स्थल पर पूजा अर्चना कर सजदा करते दिखते हैं।
बरसी के दिन पूरे गांव के लोग इकट्ठे होते है मृत हाथी को याद कर कामना करते है कि क्षेत्र में जंगली हाथियों का उत्पात कम हो और ऐसा हुआ भी है।
विधि विधान से मनाते हैं बरसी
हाथी की मौत से पहले अक्सर खेतों में लगी फसलों समेत जान माल का नुकसान जंगली हाथियों द्वारा गांव में उत्पादत मचाना आम हो गया था। परंतु जब से गांव के लोग हाथी का समाधि स्थल निर्मित कर वहां पूजा अर्चना करना शुरू किए हैं उसके बाद से आज 14 वर्ष हो गए हैं, कभी भी यहां जंगली हाथियों ने अपना कहर नहीं बरपाया है।
गांव के लोगों ने बाक़ायदा पुजारियों को भी बुलाकर दान-दक्षिणा देकर विधि विधान से पूजन करते हैं। बताते हैं कि जिस जगह पर हाथियों की मौत हुई थी, वहां पर आपसी सहयोग से गणेश मंदिर बनाने का फैसला हुआ है।
14 साल पहले गांव में ही हाथी की मौत से ग्रामीण बहुत आहत थे। गांव के लोगों ने पूरे श्रद्धाभाव से वहा हाथियों को दफनाया था। तब से यह माना जाता है कि शेखरपुर गांव को किसी बड़े खतरे या नुकसान का सामना करना नहीं पड़ा है।
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