कोच्चि (केरल)। India’s First Solar Mission Aditya L-1 भारत का पहला सौर अन्वेषण उपग्रह अंतरिक्ष में पहुंच गया है और केल्ट्रॉन समेत केरल के सार्वजनिक क्षेत्र के चार उपक्रम (पीएसयू) को इस गौरवशाली अभियान से जुड़ने का सौभाग्य मिला, जिन्होंने देश की इस उपलब्धि में अपना अपना योगदान किया है।
‘आदित्य एल-1’ मिशन में हुआ इस्तेमाल
केरल राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (केल्ट्रॉन), स्टील एंड इंडस्ट्रियल फॉरगिंग्स लिमिटेड (एसआईएफएल), त्रावणकोर कोचीन केमिकल्स (टीसीसी) और केरल ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड (केएएल) द्वारा स्वेदश विकसित एवं निर्मित विभिन्न उत्पादों का ‘आदित्य एल-1’ मिशन में इस्तेमाल हुआ है। पीएसयू द्वारा हासिल की गई इस उपलब्धि का राज्य के उद्योग मंत्री पी. राजीव ने एक फेसबुक पोस्ट में उल्लेख किया।
Time and again our scientists have proved their might and brilliance. The nation is proud and delighted over the successful launch of Aditya L1, India's first solar mission.
Kudos to the team @isro for this unparalleled accomplishment. It is a giant stride towards fulfilling PM… pic.twitter.com/XEacBvLxoj
— Amit Shah (@AmitShah) September 2, 2023
‘फोर्जिंग’ धातु को पीटकर देते है आकार
मंत्री ने कहा कि केल्ट्रोन द्वारा निर्मित 38 इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल का इस्तेमाल पीएसएलवी-सी57 प्रक्षेपण यान में किया गया था, जिसका इस्तेमाल आदित्य एल1 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा केल्ट्रॉन ने मिशन के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक्स मॉडल के लिहाज से परीक्षण सहायता भी प्रदान की।
राजीव ने कहा कि आदित्य एल1 प्रक्षेपण यान के विभिन्न चरणों के लिए ‘फोर्जिंग’ को एसआईएफएल द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया था। ‘फोर्जिंग’ धातु को पीटकर या प्रहार कर उसे अंतिम आकार प्रदान करने की प्रक्रिया होती है।
मंत्री ने मिशन को लेकर कही बात
उन्होंने कहा कि एसआईएफएल ने प्रक्षेपण यान के प्रणोदक टैंक, इंजन और रॉकेट बॉडी के लिए कई अन्य फोर्जिंग और घटकों को भी स्वदेशी रूप से विकसित किया है। मंत्री ने कहा कि केल्ट्रोन और एसआईएफएल के अलावा टीसीसी ने भी मिशन में भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि राज्य के स्वामित्व वाली रासायनिक कंपनी ने परियोजना के लिए आवश्यक 150 मीट्रिक टन सोडियम क्लोरेट क्रिस्टल की आपूर्ति की। मंत्री ने अपने पोस्ट में कहा कि इन सबके अलावा रॉकेट की उपग्रह पृथक्करण प्रणाली के लिए आवश्यक विभिन्न घटकों की आपूर्ति केएएल द्वारा की गई थी।
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