PM Vishwakarma Yojna: प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से ‘विश्वकर्मा योजना’ की शुरुआत करने का ऐलान किया था। जिसके तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 13000 करोड़ रुपये की मंजूरी भी दे दी। इस योजना की शुरुआत 17 सितम्बर को ‘विश्वकर्मा जयंती’ के दिन होगी।
दरअसल, केंद्र सरकार ने परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता देने के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत की है। इस ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा’ योजना में वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 के दौरान 5 साल में 13,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बुधवार को इसे मंजूरी प्रदान की। इसमें पहली बार 18 परंपरागत व्यवसायों से जुड़े परिवारों को कवर किया जाएगा। यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों व शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी।
क्या है योजना का मकसद
एक बयान में कहा गया है, ‘इस योजना का मकसद गुरु-शिष्य परंपरा या विभिन्न परिवारों द्वारा परंपरागत रूप से किए जाने वाले कौशल के कार्यों को विकसित करना और लोगों को हस्तशिल्प और कौशल को एक हाथ से दूसरे हाथ हस्तांतरित करना है। इस योजना से गुणवत्ता सुधरेगी। साथ ही हस्तशिल्पियों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी। विश्वकर्मा घरेलू व वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जुड़ सकेंगे।’
क्या है इसका लाभ
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आधुनिक आपाधापी में पीछे छूट गए गुरु-शिष्य परंपरा के तहत चले आ रहे इन व्यवसायों को सरकार मदद प्रदान करेगी। इसके तहत 30 लाख परिवारों के किसी एक व्यक्ति को योजना से जोड़ा जाएगा।
योजना के तहत उन लोगों को 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की ऋण सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा कौशल विकास सामग्री खरीद में भी मदद दी जाएगी। पहले वर्ष में पांच लाख परिवारों को कवर किया जाएगा और वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2028 तक पांच वर्षों में कुल 30 लाख परिवारों को कवर किया जाएगा।
इस योजना में दो प्रकार का कौशल विकास कार्यक्रम होगा जिसमें पहला ‘बेसिक’ और दूसरा ‘एडवांस’ होगा। कोर्स करने वाले लाभार्थियों को 500 रुपये प्रतिदिन मानदेय मिलेगा, साथ ही उन्हें आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15,000 रुपये मिलेंगे।
विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी दी जाएगी
योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान की जाएगी। पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कर मुहैया कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि योजना के तहत इन कार्यों से जुड़े लोगों के कौशल विकास, बाजार पहुंच और आर्थिक सहयोग पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्हें बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी। डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
इन व्यवसाय वालों को किया गया है शामिल
इस योजना में 18 परंपरागत व्यवसायों से जुड़े परिवारों जैसे-
(1) बढ़ई (सुथार), (2) नाव निर्माता, (3) अस्त्र बनाने वाले, (4) लोहार (5) हथौड़ा और टूल किट निर्माता, (6) ताला बनाने वाले, (7) गोल्डस्मिथ (सुनार), (8) कुम्हार, (9) मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाले, पत्थर तोड़ने वाले), (10) मोची (चर्मकार)/जूता कारीगर, (11) मेसन (राजमिस्त्री), (12) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर, (13) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), (14) नाई, (15) माला बनाने वाले, (16) धोबी, (17) दर्जी और (18) मछली पकड़ने का जाल आदि बनाने वाले को शामिल किया गया हैं।
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